New Delhi News: राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के इलाकों में खतरनाक स्तर तक बढ़ते वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़ा रुख अपनाया। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने वायु प्रदूषण रोकने के उपायों को लागू करने में देरी पर केंद्र और दिल्ली सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट में इस मुद्दे पर एक याचिका पर सुनवाई हो रही थी, जिसमें प्रदूषण से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाने की मांग की गई है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस ओका ने पूछा, ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) को लागू करने में इतनी देरी क्यों हुई? यह एक आपातकालीन स्थिति है, और ऐसी स्थिति में देरी बर्दाश्त नहीं की जा सकती। दिल्ली सरकार ने इस पर समय रहते कदम क्यों नहीं उठाए? कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रदूषण से निपटने के लिए जीआरएपी जैसे तंत्र का उद्देश्य तभी पूरा होगा, जब इसे समय पर लागू किया जाए।
कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों की तैयारियों पर सवाल उठाए और पूछा कि जब हर साल सर्दियों के दौरान वायु गुणवत्ता खराब होने की संभावना होती है, तो समय से पहले एहतियाती कदम क्यों नहीं उठाए गए। कोर्ट ने कहा, दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण का स्तर हर साल एक अनुमानित संकट बन चुका है। इसके बावजूद आप इसे रोकने के लिए समय पर कदम उठाने में असफल क्यों रहते हैं?
याचिकाकर्ता ने अपनी दलील में कहा कि दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता लगातार श्गंभीरश् श्रेणी में बनी हुई है। यह बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि पराली जलाने, वाहनों से निकलने वाले धुएं, और निर्माण कार्यों से होने वाला प्रदूषण बढ़ते प्रदूषण स्तर के प्रमुख कारण हैं।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने बताया कि सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए कई उपाय किए हैं, जिनमें वाहनों के लिए ऑड-ईवन योजना, निर्माण स्थलों पर प्रतिबंध और पराली जलाने की रोकथाम शामिल है। हालांकि, कोर्ट ने इन तर्कों को अपर्याप्त मानते हुए कहा कि समय पर कार्रवाई न करना इन उपायों को व्यर्थ बना देता है।
सर्दियों के मौसम में दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता लगातार बिगड़ती रहती है। हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे कणों का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है, जिससे सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जीआरएपी जैसे तंत्र का समय पर और सख्त पालन ही इस समस्या को नियंत्रित कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से इस मुद्दे पर ठोस जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी संकेत दिए कि अगर प्रशासन की ओर से संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई, तो वह सख्त दिशा-निर्देश जारी कर सकता है।
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Chief Editor, Aaj Khabar