Patna News: छठ महापर्व के अवसर पर, बिहार की प्रसिद्ध लोकगायिका शारदा सिन्हा का निधन 5 नवंबर को दिल्ली के एम्स अस्पताल में हुआ था। छठ पर्व के तीसरे दिन, अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने से कुछ घंटे पहले, उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी आकस्मिक निधन से जहां बिहार में शोक की लहर दौड़ गई, वहीं पटना के गुलबी घाट पर उन्हें राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी गई। उनके पार्थिव शरीर को अग्नि को समर्पित किया गया और उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने उन्हें मुखाग्नि दी।
शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर पटना के राजेंद्र नगर स्थित उनके आवास से गुलबी घाट तक लाया गया, जहां उनके अंतिम संस्कार की तैयारियाँ पूरी की गई थीं। अंतिम यात्रा में शारदा सिन्हा के परिजन, मित्र, प्रशंसक और स्थानीय लोग शामिल हुए। यह दृश्य बहुत ही भावुक था, जब शारदा सिन्हा के परिजनों ने उनके पार्थिव शरीर को कंधा दिया। उनकी अंतिम यात्रा में ष्शारदा सिन्हा अमर रहेंष् और ष्छठि मइया जयष् के जयकारे गूंजते रहे, जिससे यह स्पष्ट था कि उनका संगीत और योगदान हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेगा।
पटना के गुलबी घाट पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे, जो उनकी याद में भावुक हो गए थे। उनके निधन के समय छठ महापर्व का तीसरा दिन था, जो भारतीय समाज और बिहार के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है, और ठीक इसी दिन शारदा सिन्हा ने पंचतत्व में विलीन होकर इस दुनिया को अलविदा कहा।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शारदा सिन्हा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया था और उनके अंतिम संस्कार को राजकीय सम्मान के साथ कराने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री ने पटना के जिलाधिकारी को इस व्यवस्था के लिए निर्देशित किया था, ताकि शारदा सिन्हा को पूरे सम्मान के साथ विदाई दी जा सके।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, शारदा सिन्हा न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश की सांस्कृतिक धरोहर की अद्भुत ध्वजवाहक थीं। उनके गाए हुए गीतों ने खासकर छठ पूजा को न सिर्फ लोकप्रिय बनाया, बल्कि उसे एक नई पहचान भी दी। उनका योगदान संगीत और लोक कला के क्षेत्र में हमेशा याद किया जाएगा।
शारदा सिन्हा का निधन बिहार के संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका योगदान खासकर छठ पूजा में अहम था, जहां उनकी आवाज़ ने इस पर्व को एक विशेष पहचान दिलाई। शारदा सिन्हा के ष्इहै छठी मइया के गीतष् और अन्य लोकगीतों ने छठ पूजा के दौरान लोगों के दिलों में गहरी जगह बनाई थी। उनकी गायकी ने छठ पर्व को सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर बना दिया।
शारदा सिन्हा के परिवार और प्रशंसकों के लिए यह समय बेहद भावुक था, क्योंकि वह न केवल एक मशहूर गायिका थीं, बल्कि एक प्रेरणा स्रोत भी थीं। उनके परिवार के सदस्य उनके निधन से गहरे शोक में थे, और साथ ही साथ उनके प्रशंसक भी इस अपूरणीय क्षति को महसूस कर रहे थे।
शारदा सिन्हा के संगीत और गायन ने न केवल छठ महापर्व को लोकप्रिय बनाया, बल्कि उन्होंने भोजपुरी, मगही, मैथिली सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी अपने गीतों से लोगों का दिल जीता। उनका योगदान बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने में अभूतपूर्व रहा, और उनका नाम हमेशा लोक संगीत और छठ पूजा से जुड़ा रहेगा।
शारदा सिन्हा के निधन ने जहां एक ओर बिहार को एक अद्वितीय गायिका खो दी, वहीं उनके गाए हुए गीतों और संगीत से उनके प्रशंसक हमेशा जुड़ेंगे। उनका संगीत, उनके छठ गीत, और उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
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Chief Editor, Aaj Khabar