Devidhura Champawat: श्रद्धा और आस्था का अद्वितीय उदाहरण: मां बाराही धाम में हुआ ऐतिहासिक बग्वाल मेला

Devidhura champawat
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Devidhura Champawat: वैज्ञानिक युग में भी सदियों पुरानी परंपराएं लोगों को आश्चर्यचकित करती हैं, और ऐसा ही एक उदाहरण है देवीधुरा का बग्वाल मेला। रक्षाबंधन के अवसर पर यहां चार खाम (चम्याल, लमगड़िया, गहड़वाल, वालिक) और सात तोकों के बीच आयोजित होने वाला यह मेला किसी युद्ध से कम नहीं होता।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां बाराही की प्रसन्नता के लिए नर बलि दी जाती थी, जो कालांतर में एक पत्थर युद्ध में बदल गया। इस युद्ध में एक व्यक्ति के बराबर रक्त बहाकर मां को प्रसन्न किया जाता था। हालांकि, आज यह युद्ध पत्थरों के बजाय फलों से लड़ा जाता है, लेकिन श्रद्धालुओं का जोश और उत्साह वही पुराना है।

इस युद्ध के बाद सभी योद्धा एक-दूसरे के गले मिलकर आशीर्वाद देते हैं, जिससे यह मेला आपसी सद्भाव और सहयोग का प्रतीक बन जाता है। यह मेला केवल पाषाण युद्ध के लिए ही नहीं, बल्कि कुमाऊं की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने के लिए भी प्रसिद्ध है।

देश-विदेश से हजारों लोग कठिन यात्रा करके इस मेले का हिस्सा बनने आते हैं, जो हल्द्वानी और टनकपुर से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

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