New Delhi News: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन अपने स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम ‘नाविक’ को अब आम नागरिकों की पहुँच में लाने की तैयारी कर रहा है। फिलहाल यह अत्याधुनिक नेविगेशन सिस्टम केवल सैन्य और रणनीतिक उद्देश्यों के लिए उपयोग में लाया जा रहा है, लेकिन अब इसरो इसे स्मार्टफोन पर उपलब्ध कराकर नागरिकों के लिए एक नई दिशा में काम कर रहा है।
भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र के अध्यक्ष पवन गोयनका इस योजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसरो का लक्ष्य 2025 तक सालाना एक दर्जन से अधिक उपग्रहों का प्रक्षेपण करना है, जिसके बाद ‘नाविक’ के सिग्नल भारतीय नागरिकों के स्मार्टफोन पर उपलब्ध हो सकेंगे। इस प्रणाली का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह अधिक सटीक पोजिशनिंग डेटा प्रदान करता है, जो जीपीएस और अन्य वैश्विक नेविगेशन प्रणाली से कहीं बेहतर है।
गोयनका के अनुसार, ‘नाविक’ की उपलब्धता के लिए मोबाइल उपकरणों में विशेष चिपसेट की आवश्यकता होगी, जो आने वाले समय में प्रमुख स्मार्टफोन कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराए जा सकते हैं। फिलहाल इसरो द्वारा सात नए उपग्रहों की योजना बनाई गई है, जिनमें से एक उपग्रह पहले ही प्रक्षेपित किया जा चुका है। इन उपग्रहों का उद्देश्य भारतीय क्षेत्र और इसके आसपास के 1,500 किलोमीटर क्षेत्र में उच्च सटीकता वाले पोजिशनिंग सिग्नल प्रदान करना है। श्नाविकश् प्रणाली की विशेषता इसकी सटीकता में है।
पवन गोयनका ने बताया कि यह प्रणाली ळच्ै और अन्य वैश्विक नेविगेशन प्रणालियों की तुलना में कहीं अधिक सटीक है। नाविक भारत के अंदर 10 मीटर से भी बेहतर सटीकता प्रदान करता है, जबकि इसके 1,500 किलोमीटर के दायरे में 20 मीटर से बेहतर पोजिशनिंग संभव है। इस सटीकता का उपयोग न केवल यात्रा और मार्गदर्शन के लिए किया जा सकता है, बल्कि यह कृषि, आपदा प्रबंधन, भूमि सर्वेक्षण और अन्य क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण साबित होगा। इस योजना का उद्देश्य श्नाविकश् को अधिक सुलभ और सटीक बनाना है, ताकि नागरिकों को अपने दैनिक जीवन में इसका उपयोग करने में कोई कठिनाई न हो। इसरो की योजना है कि आने वाले समय में यह प्रणाली पूरी तरह से जनता के लिए उपलब्ध हो और इसके दायरे का विस्तार किया जाए।
पवन गोयनका ने स्पष्ट किया कि यह भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जिससे न केवल भारतीयों को सटीक नेविगेशन सेवाएं मिलेंगी, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी एक मजबूत भारतीय नेविगेशन प्रणाली के रूप में उभरेगा। नाविक प्रणाली को स्मार्टफोन में सुलभ बनाने के लिए आवश्यक तकनीकी और हार्डवेयर सुधार किए जा रहे हैं।
मोबाइल निर्माता कंपनियों से बातचीत की जा रही है ताकि इस प्रणाली को उनके उपकरणों में आसानी से इंटीग्रेट किया जा सके। चिपसेट और अन्य तकनीकी मुद्दों को सुलझाने के बाद, इस सेवा का लाभ भारत और आसपास के देशों में रहने वाले नागरिकों को मिलेगा। इसरो के द्वारा स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम के विकास और उसके नागरिक उपयोग के लिए उपलब्ध कराने की दिशा में उठाए गए कदम, भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। भारतीय उपग्रहों की बढ़ती संख्या और उनकी क्षमताओं के साथ-साथ, भारत अब वैश्विक स्तर पर भी एक मजबूत अंतरिक्ष शक्ति के रूप में उभर रहा है।
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Chief Editor, Aaj Khabar