Patna News: छठ पूजा के महापर्व का समापन, उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रतियों ने किया पारण

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Patna News:  चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा शुक्रवार को श्रद्धा और उल्लास के साथ संपन्न हो गया। इस विशेष अवसर पर व्रतियों ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया और छठी मैया की पूजा अर्चना पूरी श्रद्धा से की। 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास समाप्त होने के बाद व्रतियों ने पारण किया, जिसके साथ ही यह महापर्व संपन्न हो गया। छठ पूजा की यह शुभ बेला बिहार के विभिन्न हिस्सों में धूमधाम से मनाई गई, जिसमें विशेष रूप से पटना और अन्य प्रमुख जिलों के गंगा घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ा।

छठ पूजा 5 नवंबर को नहाए खाए के साथ शुरू हुआ था, जब व्रतियों ने स्नान कर लौकी, चना दाल और चावल का भोग चढ़ाया। अगले दिन 6 नवंबर को खरना संपन्न हुआ, जब व्रतियों ने दिनभर उपवास रखकर रात को साठी के चावल और रोटी का भोग खाया। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हुआ। तीसरे दिन, यानी 7 नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद शुक्रवार को व्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया, जिसके साथ ही यह पर्व समाप्त हुआ।

बिहार के विभिन्न शहरों और गांवों में छठ पूजा का दृश्य देखने लायक था। गंगा नदी के किनारे पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, वैशाली, बेगूसराय, भागलपुर, मुंगेर, लखीसराय, रोहतास, कैमूर, बक्सर, सिवान और छपरा समेत अन्य जिलों के घाटों पर लाखों व्रती उपस्थित थे। श्रद्धालु पानी में उतरकर छठी मैया और भगवान भास्कर की पूजा करते हुए रात्रि को दीप जलाते और गीत गाते रहे। यह पर्व न केवल बिहार में, बल्कि अन्य राज्यों में भी बड़े धूमधाम से मनाया गया। खासकर उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का पर्व है, जो सूर्य के प्रति समर्पण और जल की महिमा को मानते हुए आयोजित किया जाता है। इस व्रत में व्रति 36 घंटे तक निर्जला उपवास करती हैं और पूरी श्रद्धा के साथ सूर्य देव की उपासना करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत से घर में सुख, समृद्धि, और वंश की वृद्धि होती है। खासकर महिलाएं इस पर्व को बड़े श्रद्धा भाव से करती हैं, ताकि उनके परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास हो।

छठी मैया की पूजा की धार्मिक मान्यता गहरी है। पुराणों में उल्लेख है कि छठी मैया को सूर्य देव की बहन माना जाता है और उनके साथ आराधना करने से जीवन में अपार आशीर्वाद मिलता है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, देवी प्रकृति ने स्वयं को छह भागों में विभाजित किया था, जिनमें से एक भाग को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना गया, जिसे छठी मैया के रूप में पूजा जाता है। इस पूजा का संबंध विशेष रूप से सृष्टि की उत्पत्ति और जीवन की समृद्धि से जोड़ा जाता है।

साथ ही, यह भी मान्यता है कि छठ पूजा के दौरान की जाने वाली पूजा केवल प्रकृति की पूजा नहीं, बल्कि यह एक दिव्य उपासना होती है, जिसमें सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए उन्हें अर्घ्य दिया जाता है।

छठ पूजा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह बिहार और अन्य क्षेत्रों में सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। इस पर्व के दौरान एकजुटता, भाईचारे और सामाजिक सौहार्द्र का संदेश मिलता है। यह पर्व विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है, जो अपने परिवार और समाज की खुशहाली के लिए यह कठिन व्रत करती हैं।

इस महापर्व के दौरान विभिन्न स्थानों पर विशेष मेला भी लगता है, जहां व्रति विभिन्न पूजा सामग्री की खरीदारी करते हैं। पूजा के दौरान लोक गीतों और पारंपरिक संगीत का आयोजन होता है, जो इस पर्व की रंगीनियत और उल्लास को और बढ़ा देता है। छठ पूजा के समय घाटों पर बने भव्य सजावट, दीपों की रौशनी, और व्रतियों द्वारा किए गए सामूहिक गान इस पर्व को अद्भुत बना देते हैं।

इस वर्ष का छठ पूजा बिहार और अन्य क्षेत्रों में अभूतपूर्व श्रद्धा और श्रद्धालुओं की भागीदारी के साथ संपन्न हुआ। यह पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह बिहार की सांस्कृतिक धरोहर का भी अभिन्न हिस्सा बन चुका है। व्रतियों का यह सामूहिक समर्पण और कड़ी तपस्या यह दर्शाता है कि आस्था और श्रद्धा की शक्ति कितनी अद्वितीय होती है।

 

 

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