Dehradun: उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री यशपाल आर्य ने वन विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि राज्य की हरित छवि को संरक्षित करने वाला विभाग स्वयं ही भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के घेरे में आ गया है। उन्होंने देहरादून के झाझरा क्षेत्र में मियावाकी पद्धति से पौधारोपण को लेकर व्यय प्रस्तावों पर सवाल उठाए।
श्री आर्य ने बताया कि झाझरा प्रोजेक्ट के तहत तीन वर्षों में 52.40 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से पौधारोपण का प्रस्ताव तैयार किया गया है, जबकि साल 2020 में इसी तकनीक से कालसी क्षेत्र में केवल 11.86 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से पौधे लगाए गए थे। उन्होंने इसे 10 गुना अधिक लागत वाला मामला बताते हुए कहा कि यह एक ही कार्य में अत्यधिक खर्च का स्पष्ट उदाहरण है।
उन्होंने बताया कि झाझरा प्रोजेक्ट में 18,333 पौधों के लिए 100 रुपये प्रति पौधे की दर से 18.33 लाख रुपये का प्रस्ताव है, जबकि कालसी में यही पौधे केवल 10 रुपये प्रति पौधे की दर से लगाए गए थे। नेता प्रतिपक्ष ने सवाल उठाया कि जब विभाग की अपनी नर्सरी मौजूद है, तो फिर इतनी ऊंची दरों पर बाहरी एजेंसियों से पौधे क्यों खरीदे जा रहे हैं?
श्री आर्य ने मसूरी वन प्रभाग की मियावाकी तकनीक से 5 वर्षों के लिए तैयार की गई 4.26 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह काम केवल 6 हेक्टेयर भूमि पर होना है, जबकि मानकों के अनुसार इस कार्य के लिए 84 लाख रुपये पर्याप्त हैं। इसके अलावा, प्रस्ताव में स्थानीय प्रजातियों के बारे में कोई स्पष्ट विवरण नहीं दिया गया है, जो इस तकनीक की मूल आवश्यकता है।
श्री आर्य ने यह भी याद दिलाया कि पूर्व में विधानसभा में रखी गई सीएजी रिपोर्ट में ऐसे कई उदाहरण सामने आए थे जहां वन संरक्षण और वनीकरण के लिए मिले बजट का उपयोग गैर-जरूरी वस्तुओं जैसे आईफोन, लैपटॉप और रेफ्रिजरेटर की खरीद में किया गया।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही का मामला है, बल्कि इसमें गहरे स्तर पर संभावित भ्रष्टाचार की बू आती है। उन्होंने वन विभाग में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की मांग की और कहा कि पर्यावरणीय कार्यों को भ्रष्टाचार से अछूता रखा जाना आवश्यक है।
उत्तराखंड एक हरित प्रदेश है और यहां हरयाली प्रदेश का जीवन है और इस जीवन को बचाने वाले विभाग यानी वन विभाग खुद ही सवालों के घेरे में आ गया है.
देहरादून जिले के झाझरा क्षेत्र में मियावाकी पद्धति से पौधे लगाने के लिए तीन साल की अवधि में 52.40 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से खर्च… pic.twitter.com/Q1n8gTDDrU
— Yashpal Arya (@IamYashpalArya) June 19, 2025
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Chief Editor, Aaj Khabar