Haldwani News: उत्तराखंड में आगामी निकाय चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। आरक्षण सूची जारी होने के बाद भाजपा में कई नेताओं ने असंतोष जताया है, जबकि पार्टी के भीतर प्रत्याशी चयन को लेकर भी विवाद बढ़ते जा रहे हैं। भाजपा में प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया किस तरह से चल रही है, इसे लेकर विभिन्न पक्ष सामने आ रहे हैं।
निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले आरक्षण की सूची जारी हो चुकी है। सूची के बाद से सियासी घमासान भी शुरू हो गया है। कई ऐसे नेता हैं, जो अपनी दावेदारी के लिए बाहर हो गए हैं और उन्होंने आरक्षण सूची पर आपत्ति जताई है। इस आपत्ति का मामला अब हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि इन आपत्तियों से कुछ हासिल होगा, क्योंकि जब तक विभाग में आपत्ति दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है, तब तक हाईकोर्ट यह कह सकता है कि मामला विभाग के माध्यम से हल किया जाएगा। इसके अलावा, अगर आपत्ति की तिथि समाप्त होने के बाद अधिसूचना जारी हो जाती है, तो कोर्ट में मामलों की सुनवाई की संभावना कम है।
उत्तराखंड में भाजपा, जो राज्य की सबसे बड़ी पार्टी है, में इस समय 70 प्रतिशत से ज्यादा नेता चुनावी दावेदारी के इच्छुक हैं। ऐसे में, जहां एक ओर आरक्षण सूची जारी होते ही भाजपा में असंतोष की लहर देखने को मिली, वहीं प्रत्याशी चयन के बाद भी कार्यकर्ताओं में असंतोष और विवाद हो सकता है।
हालांकि, भारतीय जनता पार्टी प्रदेश स्तर पर अनुशासन को लेकर सख्त नजर आती है, लेकिन पार्टी के अंदर अनुशासन समिति का प्रभावी रोल नजर नहीं आता। इससे यह सवाल उठता है कि क्या भाजपा अपनी अनुशासन समिति के माध्यम से नेताओं के विवादित बयानों और अनुशासनहीनता पर कोई ठोस कदम उठाएगी या नहीं।
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Chief Editor, Aaj Khabar