Shimla News: हिमाचल प्रदेश में हृदय रोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है, और यह खतरा अब सिर्फ बुजुर्गों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि 20 से 40 आयु वर्ग के युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (आईएचएमई) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में हृदय रोगों के कारण होने वाली मौतों की दर 14.29 फीसदी है, जो राष्ट्रीय औसत 13.20 फीसदी से अधिक है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हिमाचल हृदय रोगों के मामलों में देश में पांचवे स्थान पर है, जबकि उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के मामलों में प्रदेश दूसरे स्थान पर है।
हिमाचल में हृदय रोगों के मामले पिछले 31 वर्षों में 111 फीसदी बढ़े हैं, जो विशेष रूप से युवा वर्ग के लिए एक चेतावनी है। पहले यह बीमारियां अधिकतर बुजुर्गों तक सीमित थीं, लेकिन अब युवा भी इसके शिकार हो रहे हैं। शहरी क्षेत्रों, जैसे शिमला और धर्मशाला, में हृदय रोगों की स्थिति ज्यादा गंभीर है।
शहरीकरण और बदलती जीवनशैली ने हिमाचल के लोगों की सेहत पर गहरा असर डाला है। अब युवा वर्ग अधिकतर जंक फूड, उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहा है और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण मोटापे और हृदय रोगों का शिकार हो रहा है। पारंपरिक हिमाचली आहार में साबुत अनाज, दालें, ताजे फल और सब्जियां शामिल थीं, लेकिन अब प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों, चीनी वाले पेय और जंक फूड का सेवन बढ़ गया है, जिससे मोटापा और कोलेस्ट्रॉल की समस्या बढ़ी है। इसके साथ ही, धूम्रपान और नशे की आदतें भी हृदय रोगों के खतरे को और बढ़ा रही हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, हृदय रोगों से बचने के लिए शारीरिक सक्रियता बेहद जरूरी है। नियमित सैर, दौड़, साइकलिंग और तैराकी जैसी गतिविधियों से दिल को सेहतमंद रखा जा सकता है। सप्ताह में कम से कम 150 मिनट की मध्यम-तीव्रता वाली एरोबिक एक्सरसाइज करनी चाहिए। साथ ही, पारंपरिक हिमाचली आहार को अपनाना चाहिए और तली-भुनी चीजों, ज्यादा चीनी और प्रोसेस्ड स्नैक्स से बचना चाहिए।
नींद का भी हृदय स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। खराब नींद से उच्च रक्तचाप, मोटापा और मानसिक तनाव बढ़ सकते हैं, जो हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ाते हैं। योग, ध्यान और काउंसलिंग जैसी गतिविधियां युवाओं को तनाव से निपटने में मदद कर सकती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि हृदय रोगों से बचाव के लिए नियमित रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और रक्त शर्करा की जांच करानी चाहिए, विशेष रूप से अगर परिवार में हृदय रोग का इतिहास हो। युवा वर्ग को इस दिशा में अधिक जागरूक होने की जरूरत है, ताकि वे समय रहते अपनी सेहत का ध्यान रखें और हृदय रोगों से बच सकें।
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Chief Editor, Aaj Khabar