Jhansi News: झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात देखभाल इकाई (NICU) में शुक्रवार देर रात हुए भयावह अग्निकांड ने पूरे प्रदेश को स्तब्ध कर दिया। इस हादसे में 10 नवजात शिशुओं की झुलसने और दम घुटने से मौत हो गई। घटना के समय छप्ब्न् में 50 से अधिक बच्चे भर्ती थे। हादसे में घायल 16 बच्चों का इलाज जारी है।
यह हादसा रात करीब 10 बजे हुआ, जब वार्ड से अचानक धुआं उठने लगा। आग तेजी से फैल गई, जिससे वार्ड में अफरा-तफरी मच गई। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने तत्काल फायर ब्रिगेड को सूचना दी। 15 दमकल गाड़ियों और सेना की मदद से आग पर काबू पाया गया। इस दौरान 45 नवजातों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। बचाए गए बच्चों का इलाज जारी है।
मंडलायुक्त बिमल कुमार दुबे ने बताया कि हादसे के वक्त वार्ड में 55 नवजात शिशु भर्ती थे। आग लगने का कारण शुरुआती जांच में शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया और तत्काल मुआवजे का ऐलान किया। मुख्यमंत्री राहत कोष से मृत बच्चों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये और घायलों के परिजनों को पचास-पचास हजार रुपये की सहायता दी जाएगी। सीएम ने निर्देश दिया है कि मुआवजा राशि जल्द से जल्द परिजनों को उपलब्ध कराई जाए।
घटना की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री ने डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को मौके पर भेजा। सुबह डिप्टी सीएम मेडिकल कॉलेज पहुंचे और घायलों के इलाज का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि सरकार घटना की जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेगी।
झांसी के मंडलायुक्त और डीआईजी को 12 घंटे के भीतर हादसे की जांच रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) सुधा सिंह ने बताया कि घटना के बाद पुलिस और दमकल विभाग ने तत्काल बचाव कार्य शुरू किया।
अस्पताल में मातम का माहौल है। बच्चे खोने के गम में डूबे परिजन अपने आंसुओं को रोक नहीं पा रहे हैं। महोबा जिले के एक दंपती ने बताया कि उनका बच्चा 13 नवंबर को पैदा हुआ था और आग की चपेट में आकर उसकी मौत हो गई। गमगीन मां ने रोते हुए कहा, मेरा बच्चा आग में जान गंवा चुका है।
मेडिकल कॉलेज के दृश्य विचलित कर देने वाले थे। घबराए परिजन अपने बच्चों को बचाने के लिए बेतहाशा इधर-उधर भाग रहे थे। पुलिस और अस्पताल कर्मी राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए थे।
शुरुआती जांच में आग लगने का कारण ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में शॉर्ट सर्किट बताया गया है। सरकार ने दोषियों पर कार्रवाई की बात कही है। जांच रिपोर्ट में लापरवाही साबित होने पर सख्त कदम उठाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मृतक बच्चों के परिवारों के प्रति उनकी गहरी संवेदनाएं हैं। उन्होंने जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि घायलों का समुचित इलाज सुनिश्चित किया जाए।
रकारी अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्थाओं और उपकरणों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या ऐसे हादसे रोके जा सकते थे? क्या सरकारी अस्पतालों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और कड़े कदम उठाए जाएंगे?
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Chief Editor, Aaj Khabar