New Delhi News: दिल्ली उच्च न्यायालय ने धारा 376 (दुष्कर्म) के दुरुपयोग का हवाला देते हुए एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म की एफआईआर को रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति चंद्राधारी सिंह ने कहा कि यह एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि कैसे एक निर्दाेष व्यक्ति को दंड प्रावधान के दुरुपयोग के कारण अनुचित कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
अदालत ने सितंबर 2021 में उस व्यक्ति के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया, जिसमें आरोप था कि उसने शिकायतकर्ता का यौन उत्पीड़न किया। आरोपी ने अपनी याचिका में कहा था कि वह और शिकायतकर्ता एक-दूसरे के साथ रिश्ते में थे और सहमति से शारीरिक संबंध बनाए थे। उसने यह भी बताया कि मजिस्ट्रेट के सामने उसके बयान से स्पष्ट हुआ था कि शादी के झूठे वादे पर संबंध स्थापित किए गए थे और कोई दुष्कर्म नहीं हुआ था।
आरोपी ने अपने बचाव में व्हाट्सएप चौट के स्क्रीनशॉट और ऑडियो रिकॉर्डिंग की ट्रांसक्रिप्ट प्रस्तुत की, जिससे यह साबित होता था कि दोनों के बीच सहमति से संबंध थे। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि एफआईआर धारा 376 के तहत दर्ज की गई थी, जो कि एक जघन्य अपराध है, इसलिए इसे रद्द नहीं किया जा सकता।
अदालत ने याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि व्यक्ति के परिवार की आपत्तियों के बावजूद वह शिकायतकर्ता से शादी करने के लिए तैयार था, लेकिन शिकायतकर्ता ने बाद में किसी अन्य व्यक्ति से शादी करने का निर्णय लिया। अदालत ने यह भी कहा कि व्हाट्सएप चौट से यह स्पष्ट हुआ कि पीड़िता ने आरोपी को शादी से संबंधित अपने फैसले की जानकारी दी थी, और इस प्रकार एफआईआर केवल बाद के विचारों पर आधारित थी।
अदालत ने कहा कि यह मामला धारा 376 के दुरुपयोग का एक उदाहरण है और इसे रद्द किया जाता है।
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Chief Editor, Aaj Khabar