New Delhi News: भारत का स्वदेशी लाइट टैंक ‘जोरावर’ का लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में परीक्षण सफल रहा है। न्योमा में आयोजित परीक्षण के दौरान टैंक की गोलाबारी पूरी तरह सफल रही। परीक्षण इस महीने के अंत तक जारी रहेगा, और अगले साल भारतीय सेना के साथ उपयोगकर्ता परीक्षण शुरू किए जाएंगे।
भारत ने यह टैंक चीन के लाइट टैंकों की तैनाती के जवाब में विकसित किया है। परीक्षणों का उद्देश्य टैंक की फायरपावर, गतिशीलता और दुर्गम भूभाग में सुरक्षा की क्षमताओं का मूल्यांकन करना है।
यह टैंक ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (क्त्क्व्) और लार्सन एंड टुब्रो के सहयोग से बनाया गया है। 25 टन वजनी यह टैंक विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में तेज संचालन के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों से बचाव के लिए एक सक्रिय सुरक्षा प्रणाली भी है।
जोरावर टैंक को नदी क्षेत्रों, जैसे पांगोंग त्सो झील में संचालन के लिए उभयचर क्षमता से लैस किया गया है। इस क्षेत्र में चीन के लाइट टैंकों के साथ पहले हुए टकरावों को देखते हुए इस क्षमता की गहनता से जांच की जा रही है। यह परीक्षण ऐसे समय में हो रहा है जब एलएसी पर नाजुक विघटन प्रक्रिया चल रही है। लद्दाख में जोरावर टैंक की मौजूदगी भारत की भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए तत्परता का मजबूत संकेत है, खासकर 2020 के सीमा संघर्ष के बाद।
यह टैंक 19वीं शताब्दी के प्रसिद्ध योद्धा जोरावर सिंह कहलूरिया के नाम पर रखा गया है, जो लद्दाख में अपने विजय अभियानों के लिए प्रसिद्ध थे।
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Chief Editor, Aaj Khabar