दो मौतों के बाद जागा प्रशासन, एक सप्ताह के भीतर सांडों को गौशाला भेजने के निर्देश।

दो मौतों के बाद जागा प्रशासन, एक सप्ताह के भीतर सांडों को गौशाला भेजने के निर्देश।
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हल्द्वानी। सड़कों पर आवारा घूम रहे जानवर रागहरों और वाहन चालकों के लिए खतरे का सबब बन गए हैं। आपस मे भिड़ कर ये राहगीरों को भी चोटिल कर चुके हैं। वहीं दो लोगों की मौत भी हो चुकी है। बीतें दिनों हल्द्वानी कोतवाली गेट के पास दो सांड भिड़ गए जिससे लोगों की जान सांसत में पड़ गई। हालांकि इसमें कोई चोटिल नहीं हुआ। वहीं कुछ दिनों पूर्व कुसुमखेड़ा में एक सांड ने युवक पर हमला कर दिया था, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हुआ। उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। वहीं कालाढूंगी क्षेत्र के एक गांव में भी सांड के हमले में महिला की मौत हो चुकी है। शहर में इन दिनों आवारा जानवरों का खौफ चारों ओर देखने को मिल रहा है। पशु प्रेमी कई बार आवारा जानवरों से छुटकारा दिलाने की मांग कर चुके हैं लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। पिछले दिनों कोतवाली गेट के पास दो सांडों की भिड़ंत और कुसुमखेड़ा में सांड के हमले में घायल युवक की मौत के बाद प्रशासन की नींद टूटी है। अब डीएम वंदना सिंह ने नगर निगम को एक सप्ताह के भीतर आवारा सांडों को गौशाला भेजने के निर्देश दिए हैं। हालांकि नगर निगम पिछले कई दिनों से यह अभियान चला भी रहा है लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा है। अब डीएम के आदेश के बाद नगर निगम प्रशासन का रवैया क्या रहता है। एक सप्ताह के भीतर शहर आवारा सांडों से मुक्ति पा सकेगा, यह सबसे बड़ा सवाल है। वहीं कैटल शैड निर्माण के लिए एक करोड़ की धनराशि नगर निगम को काफी पहले ही मिल चुकी है। कैटल शैड कहां बनाया जाएगा, इस पर भी संशय है क्योंकि नगर निगम अभी तक कैटल शैड निर्माण के लिए जमीन ही नहीं तलाश पाया है।

 

जानवर छोड़ने वालों पर भी नहीं हुई कार्रवाई:

पिछले साल नगर निगम प्रशासन ने जानवरों को खुले में छोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही थी। उन पर भारी भरकम जुर्माना लगाने की बात भी कहीं गई थी लेकिन न तो आवारा जानवर छोड़ने वालों पर कार्रवाई हुई और ना ही आवारा जानवरों को गौशाला भेजने के लिए कोई कदम ही उठाए गए।

 

अजय भट्ट दे चुके हैं आवारा जानवरों से निजात दिलाने के निर्देश:

केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट पिछले सात सितंबर महीने में जिलाधिकारी को पत्र लिख कर आवारा जानवरों से निजात दिलाने के लिए निर्देशित कर चुके हैं। लेकिन इसके बाद भी आवारा जानवरों से निजात दिलाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए। अब ठीम एक साल बाद जिला प्रशासन हरकत में आया है।

 

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