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Dehradun News: राज्य में एक बार फिर मानसून ने राष्ट्रीय और राज्य मार्गों पर आफत मचा दी है। इस बार राज्य मार्गों पर 36 नए भूस्खलन जोन चिह्नित किए गए हैं, जहाँ कभी भूस्खलन की दर सीमित या कम थी। वर्तमान में ये जोन अत्यधिक खतरनाक हो चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों में प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों पर 200 भूस्खलन जोन की पहचान की जा चुकी है।
हर साल नए भूस्खलन जोन की सक्रियता लोनिवि के इंजीनियरों के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई है। विभाग ने टीएचडीसी को पत्र लिखकर इन 36 क्षेत्रों में भूस्खलन के उपचार के लिए डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) देने का अनुरोध किया है।
लोनिवि के अभियंताओं ने रिपोर्ट तैयार कर मुख्यालय को भेजी है, जिसमें 42 स्थानों को चिह्नित किया गया है। इनमें से 32 को उपचार के योग्य माना गया है। हाल ही में बारिश के मौसम में चार और क्रोनिक भूस्खलन जोन चिह्नित किए गए हैं। अब लोनिवि ने जिला, मार्ग, प्राथमिकता आदि की जानकारी टीएचडीसी को भेजी है और उपचार के लिए डीपीआर का अनुरोध किया है।
नैनीताल और चमोली जिलों में सबसे अधिक छह-छह क्रोनिक स्लिप जोन चिह्नित किए गए हैं। पिथौरागढ़ में पांच, देहरादून और पौड़ी में चार-चार, उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग में तीन-तीन, और बागेश्वर और अल्मोड़ा में एक-एक मार्ग पर भूस्खलन की समस्या बनी हुई है। इसमें चार नए भूस्खलन जोन भी शामिल हैं।
राष्ट्रीय राजमार्ग भी भूस्खलन की समस्या से जूझ रहा है। पिछले साल और इस साल भी भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं। एनएच ने राज्य में 200 स्थानों को भूस्खलन प्रभावित के रूप में चिह्नित किया है। इनमें से टनकपुर-पिथौरागढ़ मार्ग पर सबसे अधिक 62 स्थानों पर भूस्खलन हुआ है। इन समस्याओं के समाधान पर अनुमानित डेढ़ हजार करोड़ रुपये खर्च आने की संभावना है।
एनएच के मुख्य अभियंता दयानंद के अनुसार, भूस्खलन प्रभावित 114 स्थानों पर उपचार के कार्य स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 80 स्थानों पर काम शुरू किया गया है, जबकि शेष स्थानों के टेंडर प्रक्रिया और टीएचडीसी के माध्यम से डीपीआर के गठन का काम चल रहा है। चयनित ठेकेदार संबंधित स्थानों का रखरखाव 10 वर्षों तक करेंगे।
Chief Editor, Aaj Khabar