नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित शराब नीति घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया।
इससे पहले आज, दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने मामले में केजरीवाल को इस स्तर पर दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम सुरक्षा देने का आदेश पारित करने से इनकार कर दिया।
केजरीवाल ने केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा उन्हें जारी किए गए समन को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है। उन्होंने अंतरिम सुरक्षा की मांग करते हुए एक आवेदन भी दायर किया है। मामले की सुनवाई 22 अप्रैल को तय की गई है।
इससे पहले, ईडी ने केजरीवाल के खिलाफ शहर के राउज एवेन्यू कोर्ट में दो आपराधिक शिकायतें दर्ज की थीं, जिसमें उन पर समन का अनुपालन न करने का आरोप लगाया गया था। केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा अब तक मुख्यमंत्री को नौ समन जारी किए जा चुके हैं। पिछले हफ्ते, केजरीवाल एसीएमएम अदालत में पेश हुए और उन्हें 15,000 रुपये की राशि के जमानत बांड और इतनी ही राशि की जमानत राशि देने की शर्त पर जमानत दे दी गई। उस मामले को 01 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। ईडी ने अपनी शिकायतों में आरोप लगाया कि केजरीवाल उन्हें जारी किए गए समन का पालन करने में विफल रहे। केजरीवाल ने समन को गैरकानूनी बताते हुए नजरअंदाज कर दिया है। हालाँकि, उन्होंने हाल ही में ईडी को सूचित किया कि उनसे 12 मार्च के बाद वीडियोकांफ्रेंसिंग लिंक के जरिए पूछताछ की जा सकती है। आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसौदिया और संजय सिंह को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया है और फिलहाल वे न्यायिक हिरासत में हैं।
ईडी ने आरोप लगाया है कि उत्पाद शुल्क नीति को कुछ निजी कंपनियों को 12 प्रतिशत का थोक व्यापार लाभ देने की साजिश के तहत लागू किया गया था, हालांकि मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठकों के मिनटों में ऐसी शर्त का उल्लेख नहीं किया गया था। केंद्रीय एजेंसी ने यह भी दावा किया है कि थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने के लिए विजय नायर और साउथ ग्रुप के साथ अन्य व्यक्तियों द्वारा एक साजिश रची गई थी। एजेंसी के मुताबिक, नायर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसौदिया की ओर से काम कर रहे थे।
Chief Editor, Aaj Khabar