Haridwar News: आगामी प्रयागराज महाकुंभ 2025 की तैयारियों को लेकर शनिवार को निर्मल अखाड़े के संतों ने एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की। इस बैठक में संतों ने महाकुंभ के आयोजन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और तय किया कि वे दिसंबर के पहले सप्ताह में प्रयागराज के लिए रवाना होंगे। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य कुम्भ मेला के आयोजन से पहले अखाड़ों की एकजुटता और समन्वय को सुनिश्चित करना था।
बैठक के दौरान संतों ने संकल्प लिया कि वे इस महाकुंभ के अवसर पर सभी बैरागी-संन्यासी अखाड़ों को एकजुट करने के लिए सक्रिय प्रयास करेंगे। खासकर प्रयागराज में नगर प्रवेश के बाद, वे सभी अखाड़ों को एक मंच पर लाने का काम करेंगे, ताकि कुम्भ के आयोजनों में समरसता और सहयोग की भावना को बढ़ावा दिया जा सके। संतों का मानना है कि इस बार का महाकुंभ पहले से कहीं अधिक संगठित और भव्य होगा, जिसमें सभी अखाड़े मिलकर श्रद्धालुओं को सेवा और आध्यात्मिक मार्गदर्शन देंगे।
बैठक में निर्मल अखाड़े के प्रमुख संतों ने कहा कि कुम्भ मेला भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जिसमें लाखों श्रद्धालु और तीर्थयात्री हर बार हिस्सा लेते हैं। इस बार, महाकुंभ का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि यह भारत के धर्म और संस्कृति को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का एक अवसर है। संतों ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी यात्रा का उद्देश्य सिर्फ महाकुंभ में शामिल होना नहीं है, बल्कि इस अवसर पर धर्म की एकता और अखंडता को भी बनाए रखना है।
निर्मल अखाड़े के संतों ने यह भी कहा कि इस बार कुम्भ में केवल धार्मिक कार्यक्रम ही नहीं, बल्कि समाज सेवा, पर्यावरण संरक्षण और समाज के लिए बेहतर कार्यों पर भी ध्यान दिया जाएगा। संतों ने महाकुंभ के दौरान समाज के विभिन्न तबकों के बीच एकता को बढ़ावा देने के लिए कुछ विशेष कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है।
बैठक में शामिल संतों ने कहा कि वे महाकुंभ में अन्य अखाड़ों के संतों और धार्मिक नेताओं से भी संपर्क करेंगे और एक समन्वय समिति का गठन करेंगे, ताकि कुम्भ के आयोजन को और अधिक व्यवस्थित और प्रभावी बनाया जा सके। इसके अतिरिक्त, संतों ने यह भी कहा कि वे कुम्भ के दौरान श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और सुविधा प्रदान करने पर जोर देंगे।
निर्मल अखाड़े का महाकुंभ में ऐतिहासिक योगदान रहा है। यह अखाड़ा हमेशा से साधु-संतों के एकजुट होने और धर्म की सेवा में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए प्रसिद्ध रहा है। आगामी महाकुंभ के आयोजन में भी निर्मल अखाड़े की महत्वपूर्ण भूमिका रहने की संभावना है, क्योंकि संतों ने अपने अनुभव और नेतृत्व क्षमता से कुम्भ के आयोजन को एक नए आयाम तक पहुंचाने का संकल्प लिया है।
संतों ने इस बैठक में यह भी निर्णय लिया कि वे प्रयागराज में महाकुंभ के आयोजन से पहले विभिन्न स्थानों पर साधु-संतों के साथ बैठकें करेंगे, ताकि कुम्भ के आयोजनों में कोई कमी न रह जाए और सभी अखाड़े एकजुट होकर समाज और देश की सेवा में अपना योगदान दे सकें।
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Chief Editor, Aaj Khabar