नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हेमवन्ती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्व विद्यालय के 20 हजार सीटों में 16 सौ 25 बच्चों को ही प्रवेश दिए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने हेमवती नन्दन बहुगुणा गढवाल विश्वविद्यालय को निर्देश दिए हैं कि स्थिति को सुधारने की कोशिश करें ताकि कोई भी छात्र उच्च शिक्षा से बंचित न रह पाए। एक सप्ताह के भीतर शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट को अवगत कराएं। दूसरी ओर कोर्ट ने यूजीसी तथा केंद्र सरकार व उत्तराखंड उच्च शिक्षा को नोटिस जारी किया है। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 21 सितंबर (गुरुवार) की तिथि नियत की है। मामले के अनुसार देहरादून निवासी रविंद्र जुगरान ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार द्वारा पोषित हेमवन्ती नन्दन बहुगुणा विश्व विद्यालय की 20 हजार सीटों में से 16 सौ 25 लोगों को ही प्रवेश मिल पाया जिसका मुख्य कारण कॉमन यूनिवर्सिटी इंटरेंस टेस्ट रहा । इस टेस्ट का केंद्र विश्वविद्यालय द्वारा मेरठ रखा गया । जिससे उत्तराखंड के युवा प्रवेश परीक्षा में शामिल नही हो पाए और उनको इसका पता तक नही चला। जबकि केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय को ईसमें छूट देकर कहा था कि इस टेस्ट को कराने की आवश्यकता नहीं है । इसके बाद भी यह टेस्ट कराया गया और विश्वविद्यालय की हजारों सीटें खाली रह गयी। 400 शीट वाले महिला महाविद्यालयों में तो 2 या 4 छात्रों को एडमिशन दिया गया। याचिकाकर्ता का कहना है कि सभी छात्रों के भविष्य को देखते हुए विश्व विद्यालय में खाली पड़ी सीटों को भरा जाए ताकि छात्र उच्च शिक्षा ग्रहण कर अपना भविष्य संवार सके।
Chief Editor, Aaj Khabar