हल्द्वानी में बिखरी जोहार संस्कृति की छटा, आकर्षक झांकी से जीवंत हुई जोहारी शौका संस्कृति।

हल्द्वानी में बिखरी जोहार संस्कृति की छटा, आकर्षक झांकी से जीवंत हुई जोहारी शौका संस्कृति।
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हल्द्वानी। 3 दिवसीय जोहार महोत्सव का शनिवार को हल्द्वानी के एमबी इंटर कॉलेज मैदान में शुभारंभ हो गया। पारंपरिक परिधानों में सजे महिलाओं एवं पुरुषों ने आकर्षक झांकी के जरिए सीमांत मुनस्यारी की जोहरी शौका संस्कृति को जीवंत कर दिया। जोहार मिलन केंद्र से बाजे गाजे के साथ झांकी आयोजन स्थल पहुंची। ढोल, दमाऊं, नगाड़े की धुन पर थिरकते नजर आए। महोत्सव स्थल पर हिमालय जड़ी-बूटियों और ऊनी वस्त्रों के अलावा पारंपरिक व्यंजनों के स्टाल लगाए गए हैं। महोत्सव को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। महोत्सव में जोहर की संस्कृति देखने को मिलेगी। महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रहेगी। इस दौरान लोक कला, लोकगीत के साथ हस्तकला का अदभुत संगम देखने को मिलेगा।

शनिवार को हल्द्वानी में जोहार महोत्सव का रंगारंग आगाज हो गया है। शनिवार की पूर्वान्ह विशाल शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा जोहार जन मिलन केंद्र से शुरू हुई शोभायात्रा दोनहरिया होते हुए एमबी इंटर कालेज मैदान में पहुंची। मेयर डा. जोगेंद्र सिंह रौतेला ने दीप प्रज्जवलित कर जोहार महोत्सव का शुभारंभ किया। आज कुमाऊंनी गायन, कविता लेखन, शौका भाषा के मानकीकरण पर चर्चा के अलावा मेहंदी प्रतियोगिता, जोहारी समाज के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयाकजित किए गए। 29 अक्टूबर को बच्चों की चित्रकला, सामान्य ज्ञान, फैंसी ड्रेस के अलावा शौका समाज की व्यंजन प्रतियोगिता होगी। 30 को विभिन्न सांस्कृतिक दलों, लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां और लोकगायन प्रतियोगिता का ग्रांड फिनाले होगा। बता दें कि सीमांत क्षेत्र जिले पिथौरागढ़ के मुनस्यारी के सरकारी व गैर सरकारी सेवाओं में बड़े-बड़े पदों पर आसीन जोहार घाटी के वाशिंदे जोहार महोत्सव में दूर-दूर से शिरकत करने आते हैं। इसके अलावा इस महोत्सव में जोहार घाटी की लोकगीत, लोक कला और हस्तशिल्प कला देखने को मिलती है। हस्तशिल्प कला को लोगों द्वारा काफी पसंद किया जाता है।

विगत 13 वर्ष से हल्द्वानी में लग रहे जोहर महोत्सव सीमांत क्षेत्र के लोगों को एकजुट करने और अपनी संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए इस जवाहर महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। महोत्सव में 60 से अधिक स्टॉल स्थानीय उत्पादों के लगे है। इसके अलावा 54 से अधिक स्थानीय टीमों द्वार रंगारंग प्रस्तुतियों को तीन दिवसीय जोहर महोत्सव में देखने को मिलेगा। जोहार महोत्सव में जैविक अनाज, मसलों और जड़ी बूटियों के कई स्टाल लगे हैं जहां लोग जमकर खरीददारी कर रहे हैं। यहां मुनस्यारी का मशहूर राजमा, दालें, जम्बू, गन्द्रयानी, काला जीरा, तिमूर आदि दिव्य दाल-मसालों के स्टॉल लगाए गए हैं। मेले में जोहारी हस्तशिल्प, हथकरघा उत्पाद और साहित्य के स्टाल भी लगे हैं। यहां बच्चों को शिक्षित-दीक्षित करने वाला लोकसाहित्य ख़ास तौर पर पसंद किया जा रहा है। जोहारी खान-पान के स्टाल मेले का प्रमुख आकर्षण बने हुए हैं। स्थानीय व्यंजनों में भुमला, कुकला, सूखा, मीट, मछली और भुटवा आदि लोगों की पसंद बना हुआ है।

 

हल्द्वानी में बिखरी जोहार संस्कृति की छटा, आकर्षक झांकी से जीवंत हुई जोहारी शौका संस्कृति।

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