“लखिया की झलक पाने को उमड़े सोरवासी”

"लखिया की झलक पाने को उमड़े सोरवासी"
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पिथौरागढ़। कुमौड़ की हिलजात्रा में लखिया भूत की एक झलक पाने को लोग बेताब नजर आए। लखिया भूत के मुख्य मैदान में आते ही उसके जयकारों से सोर घाटी गुंजायमान हो गई। इस दौरान भारी संख्या में पहुंचे लोग भगवान शिव के गण लखिया पर पुष्प वर्षा करते रहे। सोमवार को सुबह से ही लोगों में हिलजात्रा लेकर उत्सुकता नजर आई। दिन में से ही लोग तैयारी में जुटे। मुख्य मैदान के आसपास तीन बजे से लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। लोगों से खचाखच भरे मैदान के बीच करीब 5 बजे परंपरागत तरीके से ढोल नगाड़ों के साथ कोलबाड़ा से लखिया भूत मुख्य मैदान की तरफ अपने दो गणों के साथ रवाना हुआ। वहां पहुंचते ही लोगों ने लखिया भूत के जयकारे लगाते हुए फूलों की बारिश की। लखिया भूत ने शानदार अभिनय से आधे घंटे से अधिक समय तक लोगों को मंत्रमुग्ध किया व अपना आशीष दिया।इस दौरान हिलजात्रा के अन्य पात्रों ने भी शानदार अभिनय किया। हिलजात्रा देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ मैदान व उसके आस पास के घरों में जुटी। लोग मैदान के चारों तरफ बने घरों की छतों में भी नजर आए। हिलजात्रा में डल्ले फोड़ती महिलाएं, गलिया बैलों की जोड़ी, खेत में हुक्का पीते किसान व अन्य कलाकारों का प्रदर्शन सराहनीय रहा। हिलजात्रा के आयोजन में आयोजन कमेटी के पदाधिकारियों के साथ स्थानीय लोग कई दिनों से जुटे हुए थे। वीरभद्र का अवतार लाखिया भूत, हिलजात्रा पर्व पर लाखिया भूत मुख्य आकर्षण का केंद्र होता है। लखिया को भगवान शिव के प्रमुख गण वीरभद्र का अवतार माना जाता है। लखिया भूत लोगों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देने के साथ अगले वर्ष आने का वादा कर चला जाता है।

जंजीरों से बांधकर लाया जाता है लखिया:
लखिया भूत को जंजीरो से बांधकर मैदान में लाया जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि वीरभद्र के स्वरुप लखिया भूत भगवान शिव की जटाओं से उत्पन्न हुए। उन्का स्वभाव बेहद गुस्सैल माना जाता है। इस कारण मैदान में आते समय लखिया को लोहे की चैन से जकड़ा जाता है।

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