न खाता न बही, जो सूदखोर कहे वो सही, शहर में सूदखोरों का आतंक, नियम कायदों को ताक पर रख कर चल रहा है अवैध धंधा।

न खाता न बही, जो सूदखोर कहे वो सही, शहर में सूदखोरों का आतंक, नियम कायदों को ताक पर रख कर चल रहा है अवैध धंधा।
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कुमाऊं की आर्थिक राजधानी हल्द्वानी सूदखोरों का अड्डा बन गया है। सूदखोरों के आतंक से कर्जदार भी परेशान है। सूदखोर लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर मनमाना ब्याज वसूल रहे हैं। साथ ही उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया जा रहा है। पिछले दिनों सूदखोरों की प्रताड़ना से परेशान एक युवक ने आत्महत्या कर ली थी। जब हकीकत पता चली तब जाकर पुलिस प्रशसन की नींद टूटी और अब सूदखोरों पर शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही है। फिलहाल ये देखना होगा कि पुलिस की सख्ती का क्या असर दिखाई देता है…..

हल्द्वानी। हमारी मजबूरी है, इसका फायदा न उठाए, आपसे हाथ जोड़कर विनती है। यह शब्द उन व्यक्तियों के हैं जिन्होंने मजबूरी में सूदखोरों से पैसा उधार ले रखा है। वहीं सूदखोरों को गरीब की मजबूरी से कोई लेना देना नहीं होता है। शहर में कई सूदखोर हैं जो 10 से 20 प्रतिशत तक ब्याज वसूल रहे हैं। कर्ज देने के लिए बैंक या फिर वित्तीय संस्थाओं के पास लाइसेंस होता है लेकिन सूदखोरों के पास किसी तरह का लाइसेंस नहीं होता है बल्कि वह अपनी मनमर्जी थोर लोगों को परेशान करने में लगे हुए हैं। बताया जा रहा है शहर के अलावा रामपुर, मुरादाबाद और अन्य क्षेत्रों से भी सूदखोरों ने हल्द्वानी में अपना डेरा जमाया हुआ है। बताया जा रहा है कि इन लोगों ने जरूरतमंदों को लाखों रूपए ब्याज पर दिया हुआ है। सूत्रों की मानें बाहर से आ रहे सूदखोरों ने शहर में कई जगह पर अड्डे बनए हुए हैं जिनमें कुछ स्थानीय लोगों को नियुक्त किया जाता है। लोगों से ब्याज की वसूली करना इन्हीं का काम होता है। सूत्र बता रहे हैं कि सूदखोर बैगर किसी पंजीयन या लाइसेंस के धड़ल्ले से अपना कार्य कर रहे हैं। मौके की नजाकत को भांपते हुए ये लोग जरूरतमंद को दे देते हैं जिसके बाद पेनाल्टी व दस से भी गुना तक ब्याज लगाकर जरूरतमंद को अपने जाल में फंसा लेते हैं जिसे वह चुका नहीं पाता।

 

वसूली के लिए अलग-अलग दिन आते हैं सूदखोरों के गुर्गेर:

ब्याज की वसूली के लिए सूदखोरों के गुर्गों ने अलग-अलग दिन मुकर्रर किए हुए हैं। हर महीने की 7, 11, 14, 18 और 21 तारीख को अलग-अलग गुट के पांच-छह गुर्गे आकर लोगों से वसूली करने में जुट जाते हैं। पूरा दिन यहां रूकने के बाद अगले दिन वह यहां से निकल जाते हैं।

 

 

नैनीताल रोड के होटल में होती मीटिंग:

सूदखोरों का जमावड़ा महीने में दो बार नैनीताल रोड के एक अलग में लगता है। बताया जा रहा है कि यहीं पर किन लोगों को पैसा देना है किस को नहीं इसका निर्णय भी यहीं पर लिया जाता है। सूत्र बता रहे हैं कि यहां पर एक बार में ही लाखों रूपए ब्याज में दिए जाते हैं।

 

 

सूदखोरों के शहर में कई जगह बनाए हैं स्पॉट प्वाइंट:

सूदखोरों ने शहर में कई जगहों पर अपने हॉट स्पॉट बनाए हुए हैं। जिनमें राजपुरा, गांधीनगर, लालडांठ, कुसुमखेड़ा क्षेत्र सूदखोरों के लिए सबसे ज्यादा मुफीद स्थान बताए गए हैं। सूदखोर इन्हीं पांच जगहों पर आकर अपने गुर्गों को वसूली के लिए भेजते हैं।

 

राजपुरा में तीन साल पहले हो चुकी है मारपीट:

क्षेत्र में बढ़ती सूदखोरी की वारदात को लेकर राजपुरा में तीन पूर्व मारपीट की घटना भी हो चुकी है। तब एक महिला और युवक ने एक टैक्सी चालक से गाली गलौज और मारपीट कर दी थी जिसके बाद काफी हंगामा भी हुआ था।

 

सूदखोरों से परेशान युवक ने लगा ली थी फांसी:

साल के आखिरी दिन यानि 31 दिसंबर 2023 को सूदखोरों की प्रताड़ना से परेशान एक युवक ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी थी। इससे पहले भी दो लोगों को आत्महत्या करनी पड़ी थी।

 

कोरोना काल के बाद आया उछाल:

कोरोना काल के बाद लोगों का व्यापार चौपट हो गया। अपने व्यापार को खड़ा करने के लिए लोगों को मजबूरी की वजह से सूदखोरों की शरण में जाना पड़ा। वचहीं बेरोजगारी की समस्या ने भी सूदखोरी के व्यापार को फलने फूलने में मदद की। अपना खुद का कारोबार शुरू करने के लिए कुछ युवाओं ने सूदखोरों से कर्ज लिया हुआ है।

 

सूदखोरों पर टेढ़ी हुई पुलिस की नजर:

पिछले दिनों सूदखोरों की प्रताड़ाना से आजिज युवक द्वारा आत्महत्या करने के बाद पुलिस की नजर भी सूदखोरों पर टेढ़ी हो गई है। पुलिस ब्याज का काम करने वालों को चिन्हित करने के काम में जुट गई है। साथ ही अपने खुफिया तंत्र को भी इस काम में लगाया गया है।

 

आयुक्त भी सूदखोरों पर नकेल कसने के आदेश:

शहर में बढ़ती सूदखोरी की घटनाओं को लेकर मंडलायुक्त दीपक रावत का रूख भी सख्त दिखाई दिया। पिछले दिनों हुए जनसुनवाई कार्यक्रम में आयुक्त दीपक रावत ने भी सूदखोरी पर लगाम लगाने की बात कही थी। साथ ही लोगों से साहूकारों के चंगुल से बचने की बात कही थी।

न खाता न बही, जो सूदखोर कहे वो सही, शहर में सूदखोरों का आतंक, नियम कायदों को ताक पर रख कर चल रहा है अवैध धंधा।

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