Dehradun News: जलवायु परिवर्तन के कारण बदरीनाथ धाम में इस वर्ष दिसंबर तक बर्फबारी न होने को लेकर विशेषज्ञों और तीर्थ पुरोहितों ने गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका मानना है कि इस बदलाव के लिए क्षेत्र में अंधाधुंध वाहनों की आवाजाही और ऑल वेदर रोड निर्माण जैसे मानवीय गतिविधियां जिम्मेदार हैं। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विकास कार्यों की आवश्यकता जताई है।
देवप्रयाग के तीर्थ पुरोहित उत्तम भट्ट और अशोक टोडरिया ने बताया कि बदरीनाथ जैसे उच्च हिमालय क्षेत्र में इस प्रकार की स्थिति पहले कभी नहीं देखी गई। उन्होंने बताया कि इस वर्ष छह महीने के दौरान एक बार भी बर्फबारी नहीं हुई है, जबकि पिछले वर्ष अक्टूबर में तीन बार बर्फबारी हो चुकी थी।
तीर्थ पुरोहितों के अनुसार, बदरीनाथ के कपाट बंद होने के तीन सप्ताह बाद भी बदरीपुरी में बर्फ नहीं पाई जा रही है। उन्होंने इस बदलाव का कारण बदरीधाम में बढ़ती वाहनों की संख्या और सड़क निर्माण को बताया और कहा कि इस पर वैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता है।
उत्तराखंड औद्यानिक एवं वानिकी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रो. एससी सती ने कहा कि उच्च हिमालय क्षेत्रों में मौसमी भिन्नता के कारण बर्फबारी में कमी आई है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले वर्ष को एक लाख वर्षों का सबसे गर्म वर्ष माना गया था, और इस वर्ष तापमान में हो रही वृद्धि इसे और भी गर्म बना सकती है। प्रो. सती के अनुसार, बदरीनाथ धाम में बढ़ते तापमान का असर जल स्रोतों और बर्फबारी पर भी पड़ रहा है।
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Chief Editor, Aaj Khabar