Haldwani Suicide, Uttarakhand — हल्द्वानी शहर में शुक्रवार रात को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसने पूरे शहर को स्तब्ध कर दिया। नैनीताल रोड पर एक इंटरमीडिएट के छात्र, 17 वर्षीय देवदर्श शाह ने अपनी तेज़ रफ्तार कार से एक के बाद एक पांच लोगों को टक्कर मार दी। इस हादसे के बाद घबराए देवदर्श ने घर लौटकर आत्महत्या कर ली। उसका शव कमरे के अंदर पंखे से लटका हुआ मिला। यह घटना न केवल देवदर्श के परिवार के लिए बल्कि पूरे शहर के लिए एक बड़ा सदमा साबित हुई है।
घटना का सिलसिला :
देवदर्श शाह नैनीताल के तल्लीताल इलाके का रहने वाला था। वह एक प्रतिष्ठित स्कूल में इंटरमीडिएट का छात्र था और अपने पढ़ाई को लेकर बेहद गंभीर था। उसके पिता, माता प्रसाद शाह, अमेरिका में मर्चेंट नेवी में तैनात हैं, जबकि वह नैनीताल में अपनी माँ के साथ रहता था। शुक्रवार को देवदर्श दमुवाढूंगा में अपने दादा-दादी से मिलने गया था। वहां से लौटते वक्त वह अपनी कार लेकर नैनीताल रोड पर निकल पड़ा।
रात करीब आठ बजे, तेज़ रफ्तार से कार चलाते हुए, देवदर्श ने नैनीताल रोड पर पाँच लोगों को टक्कर मार दी। हादसे के समय सड़क पर काफी भीड़ थी और इस दुर्घटना के बाद स्थानीय लोगों ने देवदर्श की कार का पीछा करना शुरू कर दिया। घटनास्थल पर उपस्थित लोगों का गुस्सा भड़क उठा और वे देवदर्श को पकड़ने के लिए दौड़ पड़े।
घबराहट और हादसे के बाद का तनाव :
देवदर्श, लोगों का गुस्सा और पीछा देख कर बेहद घबरा गया। उसने अपनी कार को देवाशीष होटल के पास छोड़ दिया और वहां से भाग निकला। गुस्साई भीड़ ने कार में तोड़फोड़ कर दी थी। हादसे के बाद की घबराहट और डर के कारण, देवदर्श मानसिक रूप से बहुत तनाव में आ गया। पुलिस के अनुसार, वह इतना घबरा गया था कि उसने अपने घर लौटते ही आत्महत्या करने का मन बना लिया।
घर पर आत्महत्या का खौफनाक निर्णय :
घटना के बाद, देवदर्श सीधा अपने घर चला गया, जहाँ उसकी माँ मौजूद नहीं थीं। देवदर्श ने अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लिया। उसके मामा, जो उसी घर में रहते थे, ने सोचा कि वह सामान्य रूप से अपने कमरे में आराम करने गया है। लेकिन अगले दिन, शनिवार की सुबह जब देवदर्श का दरवाजा काफी देर तक नहीं खुला, तो उनके मामा को शक हुआ। उन्होंने दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन जब अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो दरवाजा तोड़ा गया।
दरवाजा खुलते ही देवदर्श का शव पंखे से लटका हुआ मिला। मामा ने तुरंत उसे फंदे से उतारा और अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अस्पताल में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। देवदर्श की मौत से पूरे परिवार में कोहराम मच गया। उसकी माँ को घटना की जानकारी दी गई, और खबर मिलते ही वह टूट गईं।
पुलिस की जांच और प्रतिक्रिया :
मल्ला काठगोदाम चौकी इंचार्ज फिरोज आलम ने बताया कि दुर्घटना के बाद देवदर्श काफी घबरा गया था। पुलिस को देवदर्श के बारे में जानकारी मिलने के बाद उन्होंने उसे ढूंढने की कोशिश की, लेकिन तब तक वह आत्महत्या कर चुका था। अगर पुलिस को समय रहते देवदर्श का पता चल जाता, तो शायद यह दुखद घटना टल सकती थी। पुलिस ने बताया कि हादसे के बाद मामले को शांत करने का प्रयास किया जा रहा था, क्योंकि टक्कर के दौरान किसी को गंभीर चोट नहीं आई थी।
परिवार पर दुखों का पहाड़ :
देवदर्श के परिवार के लिए यह घटना एक अप्रत्याशित और भयानक आघात साबित हुई। देवदर्श दो भाइयों में सबसे बड़ा था और स्कूल में एक होनहार छात्र के रूप में जाना जाता था। उसके पिता, माता प्रसाद शाह, जो अमेरिका में मर्चेंट नेवी में तैनात हैं, बेटे की मौत की खबर मिलते ही तुरंत हल्द्वानी के लिए रवाना हो गए।
पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद देवदर्श का शव उसके परिवार को सौंप दिया। परिवार ने शव को मोर्चरी में डीप फ्रीजर में रखवाया है ताकि उसके पिता के आने के बाद अंतिम संस्कार किया जा सके। इस घटना के बाद हल्द्वानी और नैनीताल के शिक्षण संस्थानों और समुदाय में गहरा शोक व्याप्त है। देवदर्श के शिक्षकों और सहपाठियों ने उसे एक मेहनती और अनुशासित छात्र के रूप में याद किया।
मानसिक तनाव और समर्थन की कमी :
इस घटना ने एक बार फिर मानसिक तनाव और युवा पीढ़ी में भावनात्मक समर्थन की कमी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। देवदर्श जैसे होनहार छात्र का यह कठोर कदम उठाना इस बात का प्रमाण है कि आज के युवा कितने दबाव में हैं और उन्हें सही समय पर सही मार्गदर्शन की कितनी जरूरत है।
शहर के लोग इस घटना के बाद से गहरे सदमे में हैं और इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि अगर देवदर्श को सही समय पर भावनात्मक और मानसिक सहायता मिलती, तो शायद यह त्रासदी रोकी जा सकती थी। पुलिस और समाज सेवी संगठनों ने इस घटना के बाद युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की अपील की है।
निष्कर्ष :
देवदर्श शाह की आत्महत्या की घटना ने हल्द्वानी को गहरे दुख में डाल दिया है। यह घटना न केवल एक युवा जीवन के दुखद अंत की ओर इशारा करती है, बल्कि समाज को भी यह सोचने पर मजबूर करती है कि कैसे हम अपने बच्चों और युवाओं को मानसिक और भावनात्मक सहायता प्रदान कर सकते हैं। देवदर्श की कहानी एक चेतावनी है कि हमें अपने बच्चों के साथ संवाद बनाए रखना चाहिए और उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके।
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Chief Editor, Aaj Khabar