Nainital News: उत्तराखंड के प्राइवेट आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों में फीस बढ़ोतरी के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद महत्वपूर्ण आदेश दिए गए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि 2017-18 और 2018-19 शैक्षिक सत्र के दौरान प्रवेश लेने वाले छात्रों से 2019 में बढ़ाई गई फीस नहीं ली जाएगी।
कोर्ट ने इस फैसले के साथ श्अपीलीय प्राधिकरणश् द्वारा 2017-18 शैक्षिक सत्र से ट्यूशन शुल्क में बढ़ोतरी की अनुमति देने के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि नियामक समिति की 4 अप्रैल 2019 को हुई बैठक में जो शुल्क निर्धारण हुआ था, वह केवल शैक्षिक सत्र 2019-20 से लागू होगा।
इस निर्णय के बाद, हाईकोर्ट ने संबंधित आयुर्वेदिक कॉलेजों को आदेश दिया कि वे याचिकाकर्ताओं को एनओसी (छव व्इरमबजपवद ब्मतजपपिबंजम) जारी करें और विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि एनओसी मिलने के बाद वह तत्काल छात्रों के शैक्षिक प्रमाणपत्र उपलब्ध कराएं।
यह मामला दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, सहसपुर (देहरादून) के बीएएमएस छात्र शिवम तिवारी, विंध्या खत्री और अन्य छात्रों द्वारा दायर याचिका से जुड़ा था। छात्रों ने शुल्क नियामक आयोग के 4 अप्रैल 2019 के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि 2017-18 बैच के छात्रों से 80,500 रुपए प्रति वर्ष की फीस बढ़ाकर 2.15 लाख रुपए प्रति वर्ष की फीस ली जाएगी।
याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि जब उन्होंने आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लिया था, तब शुल्क 80,500 रुपए प्रति वर्ष तय किया गया था, लेकिन बाद में 2019 में यह फीस बढ़ा दी गई और इसे 2017-18 सत्र से लागू कर दिया गया, जो कि अनुचित था।
हाईकोर्ट के इस फैसले से इन छात्रों को राहत मिली है, क्योंकि अब उन्हें 2017-18 और 2018-19 सत्र के दौरान बढ़ी हुई फीस नहीं देनी होगी। इसके साथ ही, निजी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों द्वारा इन छात्रों को नो-ड्यूज जारी नहीं किया गया था, जिसके कारण उन्हें विश्वविद्यालय द्वारा प्रमाणपत्र भी नहीं दिए गए थे। इस आदेश के बाद, छात्र अब अपने इंटर्नशिप में भाग ले सकेंगे।
For Latest News Updates Click Here
Chief Editor, Aaj Khabar