मुख्यमंत्री जी, आपकी पुलिस किसकी मित्र है?
Yogesh Dimri पर हमला: शराब तस्करों के निशाने पर था साहसी पत्रकार
Rishikesh, जो कि एक धार्मिक नगरी के रूप में पहचानी जाती है, वहां के हालात शराब तस्करों के आतंक के कारण बदतर होते जा रहे हैं। इसी कड़ी में एक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहाँ आंवला न्यूज़ के युवा पत्रकार Yogesh dimri पर जानलेवा हमला किया गया है। यह हमला न केवल उनके साहस पर बल्कि पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर भी एक बड़ा हमला है।
Yogesh Dimri, जिन्होंने अपने डिजिटल चैनल के माध्यम से अवैध शराब तस्करी के खिलाफ लगातार मुहिम छेड़ी हुई थी, उन पर इस कदर हमला हुआ कि उनकी जान तक खतरे में पड़ गई। सिर और शरीर के अन्य हिस्सों में लगी गंभीर चोटों से यह स्पष्ट है कि तस्करों का इरादा सिर्फ उन्हें डराने का नहीं, बल्कि उनकी आवाज को हमेशा के लिए खामोश करने का था।
ऋषिकेश में शराब पर सार्वजनिक प्रतिबंध होने के बावजूद, तस्करी का धंधा खुलेआम फल-फूल रहा है। लेकिन इससे भी ज़्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि स्थानीय पुलिस की नाक के नीचे ये सब हो रहा है, और फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
यह सिर्फ एक साधारण हमला नहीं है, बल्कि यह उस पूरी व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा करता है जो आम जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाती है। क्या मुख्यमंत्री जी की पुलिस केवल कागजों पर ही काम कर रही है? क्या उनकी प्राथमिकता वास्तव में जनता की सुरक्षा है या फिर वे शराब माफियाओं के संरक्षण में लगे हैं?
इस पूरे मामले में सबसे चिंताजनक तथ्य यह है कि Yogesh dimri ने हमले की आशंका जताते हुए पहले ही पुलिस को सूचना दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। और जब हमला हुआ, तो वीडियो में पुलिसकर्मी मौजूद तो थे, लेकिन वे सिर्फ तमाशबीन बने रहे। यह रवैया पुलिस के चरित्र पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
यह घटना केवल एक पत्रकार पर हमले की नहीं है, बल्कि यह हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भी हमला है। यह हमारे समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या वास्तव में हम सुरक्षित हैं, जब हमारी सुरक्षा का जिम्मा उठाने वाले खुद ही माफियाओं के हाथों में खेल रहे हैं?
मुख्यमंत्री जी, जनता अब यह सवाल पूछ रही है – आपकी पुलिस किसकी मित्र है? अगर आप वास्तव में जनता की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध हैं, तो तुरंत इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाकर दोषियों को सख्त से सख्त सज़ा दिलाएं। अन्यथा, यह जनता का विश्वास खोने का एक और कारण बन सकता है।
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