नई दिल्ली। क्वांटम डॉट्स की खोज और इसके विकास के लिए अमिरिकी मूल के तीन रसायन विज्ञानियों माउंगी बावेंडी, लुइस ब्रुस, एलेक्सी एकिमोव को केमिस्ट्री में 2023 को नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है। क्वांटम डॉट्स ऐसे नैनोपार्टिकल्स इतने छोटे होते हैं कि उनका आकार उनके गुणों को निर्धारित करता है।
क्वांटम डॉट्स का इस्तेमाल आज कंप्यूटर मॉनिटर और टेलीविजन स्क्रीन को रोशन करने के लिए किया जाता है। इसमें QLED तकनीक का इस्तेमाल होता है। इनकी लाइट इतनी तेज होती है कि एक सर्जन बिना किसी परेशानी के ट्यूमर टिश्यू को देख सकते हैं। नोबेल पुरस्कार जीतने वाले रसायन विज्ञानियों का मानना है कि भविष्य में क्वांटम डॉट्स फ्लेग्जिबल इलेक्ट्रॉनिक्स, छोटे सेंसर, पतले सोलर सेल और शायद एन्क्रिप्टेड क्वांटम कम्युनिकेशन में योगदान दे सकते हैं।
मैरी क्यूरी को दो बार चुका है मिला नोबेल पुरस्कार:
पोलैंड में जन्मीं भौतिकी और रसायन विज्ञानी मैरी क्यूरी को दो बार नोबेल पुरस्कार मिल चुका है। मैरी क्यूरी को पहला पुरस्कार भौतिकी के लिए 1903 में और दूसरा नोबेल पुरस्कार में रसायन के लिए 1911 में रेडियम और पोलोनियम की खोज के लिए दिया गया था।
वेंकटरमन को रसायन में मिला था नोबेल:
चिदम्बरम तमिलनाडु में जन्मे भारतीय मूल के सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में से एक वेंकटरमन रामकृष्णन को 2009 मॉलिक्युलर बायोलॉजी के क्षेत्र में केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार मिला था। उन्होंने साल 2000 में एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी नाम की एक विधि का उपयोग करके सैकड़ों हजारों परमाणुओं से बने राइबोसोम की संरचना को मैप किया था। इसके जरिए एंटीबायोटिक दवाइयां बनाने में काफी मदद मिली। नोबेल प्राइज के अलावा वेंकटरमन को 2010 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था।
Chief Editor, Aaj Khabar