“कुछ तो रहम करोः सुबह-दोपहर-शाम जहां देखो वहीं जाम”

"कुछ तो रहम करोः सुबह-दोपहर-शाम जहां देखो वहीं जाम"
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हल्द्वानी। आए दिन ट्रैफिक जाम से सड़क पर चलने वाले आम लोग हर दिन जूझने को मजबूर हैं। जाम ने आम लोगों के अलावा स्कूली बच्चे, रोगी वृद्ध व विकलांगों को भारी परेशानियों में डाल दिया है। कुछ -कुछ देर पर सड़क पर ऐसा जाम लगता है कि वाहन क्या पैदल चलने वाले भी रेंगने को मजबूर हो जाते है। हकीकत है कि आप शहर की व्यस्त सड़कों पर इत्मीनान से चल नहीं सकते। शहर के सभी मुख्य सड़कों के अलावा सभी चौक -चौराहे पर जाम का नजारा आज आम हो गया है। खासकर कालाढूंगी रोड का नजारा…व्यवस्था को आईना दिखाने केे लिए काफी है। यह एकमात्र ऐसी सड़क हैं, जहां व्यवस्था भी हाथ खड़े देती है। हल्द्वानी के हीरा नगर तिराहे से लेकर स्टेडियम रोड को जानी वाली सड़क पर जाम का झाम व्यवस्था के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। यही जाम व्यवस्था के लिए कोढ़ में खाज बन गया है। तमाम कवायदों केे बाद भी आम जन को ‘व्यवस्था’ राहत नहीं दे पाई। सुबह-दोपहर-शाम जब देखो जाम ही जाम। हास्यास्पद पहलू यह है कि वीआईपी मूवमेंट के दौरान ही नजारा साफ दिखाई देता है। ‘व्यवस्था’ के संचालक भी गाड़ी हटाओ का नारा बुलंद कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री करने में लगे हुए हैं। मजेदार पहलू यह है कि शहर के हर चौराहे से लेकर गली नुक्कड़ तक तक जाम की परेशानी है लेकिन इसमें सुधार के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। हालांकि कागजी घोड़े दौड़ा कर ‘राहत’ देने का दावा किया जाता रहा है, लेकिन धरातल तक नतीजा….ढाक के तीन पात।

 

 

"कुछ तो रहम करोः सुबह-दोपहर-शाम जहां देखो वहीं जाम"

 

 

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