Dehradun: नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने को लेकर राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का उद्देश्य विभिन्न धर्मों के संस्कारों में सुधार लाना नहीं बल्कि राजनीतिक लाभ उठाना है।
श्री आर्य ने कहा कि उत्तराखंड की जनता को इस समय कठोर भू कानून और मूल निवास का स्थायी समाधान चाहिए था, लेकिन सरकार ने इन गंभीर मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए यूसीसी थोप दिया है।
उन्होंने यूसीसी के तहत लिव-इन रिलेशन को कानूनी मान्यता देने के प्रावधान पर कड़ा विरोध जताया। उनका कहना है कि इससे देवभूमि की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का अपमान हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि बाहरी राज्यों के लोग एक वर्ष लिव-इन रिलेशन में रहने के बाद स्थायी निवासी माने जाएंगे, जिससे राज्य में जनसंख्याकीय बदलाव की साजिश हो सकती है।
श्री आर्य ने कहा कि यूसीसी के भाग 3 की धारा 378 से 389 के तहत लिव-इन रिलेशन को कानूनी मान्यता दी गई है। इसमें ऐसे संबंध से जन्मे बच्चों को वैध मानने और महिला साथी को भरण-पोषण का अधिकार देने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे उत्तराखंड में विवाह संस्था कमजोर होगी और लिव-इन रिलेशन को बढ़ावा मिलेगा।
नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि तलाक को कठिन बनाने के बावजूद लिव-इन संबंध समाप्त करना आसान बना दिया गया है, जिससे युवा जोड़े विवाह की बजाय लिव-इन रिलेशन को प्राथमिकता देंगे। उन्होंने इसे राज्य की सामाजिक संरचना के लिए घातक बताया।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि मुख्यमंत्री ने यूसीसी को महिलाओं की समानता के लिए जरूरी बताया, लेकिन अनुसूचित जनजातियों की महिलाओं को इसके दायरे से बाहर रखा गया है।
श्री आर्य ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने यूसीसी के जरिए विपक्ष को अल्पसंख्यक समुदाय के पक्ष में दिखाने की रणनीति बनाई थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि अब सनातनी समुदाय लिव-इन रिलेशन के प्रावधानों का खुलकर विरोध कर रहा है।
श्री आर्य ने चेताया कि जल्दबाजी में लाए गए इस कानून से उत्तराखंड को कानूनी और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जिसकी जिम्मेदारी धामी सरकार पर होगी।
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Chief Editor, Aaj Khabar