Shimla News: शिमला जिले में पिछले साल गर्मियों में टैंकरों से पानी की आपूर्ति के नाम पर करोड़ों रुपये के गड़बड़झाले का मामला सामने आया है। आरोप है कि ठेकेदारों को टैंकरों से पानी आपूर्ति के लिए एक करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान किया गया, जबकि आपूर्ति की वास्तविकता कुछ और ही थी।
आरटीआई के तहत मिली जानकारी से खुलासा हुआ है कि जिन वाहनों के नंबर टैंकरों के नाम पर दिए गए, उनमें मोटरसाइकिल, कार और यहां तक कि एक अफसर की सरकारी गाड़ी भी शामिल थी। इसके अलावा, दो गांवों में पानी की आपूर्ति का दावा किया गया, जबकि वहां सड़क तक नहीं है। इस मामले को लेकर ठियोग के पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने सरकार को शिकायत दी थी, जिसके बाद शिमला के अतिरिक्त उपायुक्त को मामले की जांच का आदेश दिया गया है।
पानी की आपूर्ति के लिए ठेकेदारों को ठियोग उपमंडल के संधु पंचायत के बिशड़ी गांव में फरवरी से जून तक टैंकरों के जरिए पानी पहुंचाने का काम सौंपा गया था। आरोप है कि कई जगहों पर पानी की आपूर्ति नहीं की गई, लेकिन संबंधित ठेकेदारों को भुगतान कर दिया गया। बिशड़ी गांव में पानी की किल्लत को लेकर शिकायतें आईं, जिसके बाद आरटीआई के तहत जानकारी हासिल की गई। जानकारी के अनुसार, जून में इस गांव में पानी की आपूर्ति नहीं की गई, लेकिन आरटीआई के दस्तावेज में यह दर्शाया गया कि एक लाख लीटर से अधिक पानी आपूर्ति किया गया था।
शिकायतकर्ता राकेश सिंघा ने जब मामले की छानबीन की, तो एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। उन्होंने पाया कि जिस पिकअप का नंबर टैंकर के नाम पर दर्ज था, वह वाहन एक दिन में 819 किलोमीटर और दूसरे दिन 614 किलोमीटर की आपूर्ति दर्शा रहा था, जबकि एक ही दिन में इतनी दूरी तय करना असंभव था। इसके अलावा, आरटीआई से यह भी खुलासा हुआ कि टैंकरों के नाम पर मोटरसाइकिल, लग्जरी गाड़ियों और एक अफसर की सरकारी गाड़ी का भी नंबर दिया गया था।
सिंघा ने यह सवाल भी उठाया कि नागोधार और करयाली जैसे गांवों में, जहां सड़क तक नहीं है, वहां टैंकरों से पानी की आपूर्ति कैसे संभव हो सकती है। उन्होंने मुख्य सचिव से संबंधित रिकॉर्ड सीज कर निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है।
ठियोग के एसडीएम मुकेश शर्मा ने मामले की जांच की पुष्टि करते हुए कहा कि इस पूरे मामले की छानबीन की जा रही है और जल्द ही उचित कार्रवाई की जाएगी।
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Chief Editor, Aaj Khabar