Nainital News: प्रदेशभर के कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव न कराए जाने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। विशेषकर डीएसबी परिसर, नैनीताल में छात्रसंघ चुनाव की तिथि की घोषणा न होने को लेकर छात्रों ने कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलसचिव का घेराव किया और 9 नवंबर से प्रस्तावित परीक्षा तिथियों में बदलाव की मांग की।
छात्रों का आरोप है कि पिछले एक महीने से चुनाव की तिथि घोषित करने को लेकर वे लगातार विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुरोध कर रहे हैं, लेकिन अब तक इस मामले में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द चुनाव की तिथि घोषित नहीं की गई, तो वे भूख हड़ताल पर बैठने को मजबूर होंगे, और अगर मामला और बढ़ा तो आत्मदाह करने जैसे गंभीर कदम भी उठा सकते हैं। छात्रों ने इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन और शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत को जिम्मेदार ठहराया है।
प्रदर्शन कर रहे छात्र नेताओं ने विश्वविद्यालय के कुलपति से संवाद की कोशिश की, लेकिन कुलपति के चीन दौरे में होने की वजह से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई। छात्रों ने इसके बाद कुलपति से वीडियो कॉल के जरिए बात करने की मांग की, लेकिन तकनीकी कारणों से वीडियो कॉल में कोई सफलता नहीं मिली। अंततः, कुलपति प्रो. डीएस रावत ने छात्रों से ऑडियो कॉल के माध्यम से बातचीत की और उन्हें बताया कि चुनाव के संबंध में उन्होंने राज्यपाल, शिक्षा मंत्री और शिक्षा सचिव से बातचीत की है, और इस मुद्दे को जल्द सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है।
छात्र नेताओं के प्रतिनिधिमंडल में करन दनाई, करन सती, आशीष कबडवाल, आभिषेक, विशाल, सार्दुल नेगी, मोनिका, वैष्णवी, प्रशांत, अंशुल, भास्कर, कमलेश, तनिष्क, जीया, अरमान, हिमांशु और संजय जैसे प्रमुख छात्र नेता मौजूद रहे।
इस बीच, कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलसचिव मंगल सिंह ने छात्रों की मांगों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि छात्रसंघ चुनाव के संबंध में पहले ही कोर्ट का आदेश आ चुका है, और विश्वविद्यालय प्रशासन उसी आदेश का पालन कर रहा है। कुलसचिव ने बताया कि अदालत के आदेश के बाद चुनाव कराना विवि के स्तर पर संभव नहीं है। हालांकि, छात्रों की परीक्षा तिथियों में बदलाव की मांग को लेकर विश्वविद्यालय ने शासन को पत्र भेज दिया है और इस पर शासन से जवाब का इंतजार किया जा रहा है।
इस प्रदर्शन के दौरान विवि परिसर में सुरक्षा को देखते हुए पुलिस प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड पर था। विश्वविद्यालय और कॉलेज परिसर में भारी पुलिस बल तैनात किया गया था ताकि किसी प्रकार का उपद्रव या हिंसा न हो सके। छात्रों के प्रदर्शन के बावजूद स्थिति नियंत्रण में रही, लेकिन पूरे घटनाक्रम के बीच पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से तनाव को कम करने के प्रयास जारी रहे।
छात्रों का कहना है कि छात्रसंघ चुनाव न होने से विद्यार्थियों की आवाज दबाई जा रही है और इस मुद्दे को लेकर छात्र आंदोलन तेज कर सकते हैं। छात्रों का यह भी कहना है कि यदि चुनाव नहीं कराए गए तो इससे प्रशासन की ओर से लोकतांत्रिक प्रक्रिया के उल्लंघन की स्थिति उत्पन्न होगी। छात्र नेताओं का यह भी कहना है कि अगर उन्हें जल्द न्याय नहीं मिला, तो वे और सख्त कदम उठाने को मजबूर हो सकते हैं।
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Chief Editor, Aaj Khabar