हल्द्वानी। मूल निवास की परिभाषा 1950 करने की मांग ने जोर पकड़ लिया है। गढ़वाल के बाद अब कुमाऊं मंडल में भी मूल निवास, भू-कानून लागू करने की मांग उठने लगी है। इसी को लेकर शुक्रवार को युवाओं ने हल्द्वानी में हुंकार भरी। 23 दिसंबर को सैकड़ों युवा देहरादून कूच करेंगे। बता दें कि काफी समय पहले युवाओं ने सोशल मीडिया पर उत्तराखंड मांगे भू-कानून हैशटैग के साथ व्यापक स्तर पर अभियान शुरू किया था। सोशल मीडिया पर शुरू हुआ यह अभियान अब गांव-गांव तक पहुंच चुका है और कानून को लागू करने की मांग ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है। गढ़वाल मंडल में भू कानून को लेकर मांग लंबे समय से उठती रही है। अब इस अभियान की चिंगारी कुमाऊं तक पहुंच चुकी है। शुक्रवार को युवाओं का हुजूम बुद्धपार्क में उमड़ पड़ा। उन्होंने सरकार से पर्वतीय राज्य के हितों के संरक्षण के लिए प्रभावी और ठोस कदम उठाने की मांग की। उन्होंने मूल निवास 1950 और भू कानून के लिए अध्यादेश लाने की मांग की। समाजसेवी शैलेंद्र दानू ने कहा कि हाल ही में सरकार द्वारा एक अधिसूचना जारी कर कहा है कि जिनके पास मूल निवास है उन्हें स्थाई निवास की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समिति बनाकर इस संबंध में वार्ता करने की बात कही है। समाजसेवी शैलेंद्र सिंह दानू ने कहा कि सरकार पहाड़ी राज्य के लोगों के हितों से खिलवाड़ कर रही है मूल निवास 1950 लागू कर सरकार को युवाओं व पहाड़ी संस्कृति के संवर्धन व संरक्षण के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाने चाहिए। वहीं अन्य वक्ताओं ने भी मूल निवास की तिथि 1950 करने की मांग की। साथ ही सरकारी नौकरियों में उत्तराखंड के मूल निवासियों को प्राथमिकता देने की मांग की। वक्ताओं का कहना था कि उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों की शहादत पर बना है। शहीदों की परिकल्पनाओं को साकार करने के लिए सरकार को तत्काल कार्यवाही करते हुए मूल निवास हेतु अध्यादेश लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार मूल निवास के मुद्दे पर बैक फुट पर है। इस दौरान विशाल भोजक, कार्तिक उपाध्याय, मीमांशा आर्य, भुवन जोशी, मनोज नेगी, साक्षी रावत, दीपक पलड़िया, रक्षित बिष्ट, शोभित कुमार, कमल किशोर, मोहन पैनेरू, महेंद्र पटवाल, पंकज दानू, राम दत्त, चेतन कपिल, गोलू गोस्वामी, हर्ष जोशी आदि लोग उपस्थित रहे।
Chief Editor, Aaj Khabar