हल्द्वानी। धार्मिक पर्यटन और सामरिक रणनीति के लिहाज से केंद्र सरकार का अति महत्वपूर्ण प्रोजक्ट ऑलवेदर रोड अपने उद्देश्यों पर खरा नहीं उतर पाया है। परियोजना का काम हर हाल में काम जल्दी में कराने की जिद लोगों की परेशानी का सबब बन गई है। हालत यह है कि ऑलवेदर रोड के बड़े हिस्से में डेंजर जोन चिन्हित किए गए हैं लेकिन उनका ट्रीटमेंट तक नहीं किया जा सका है जिसने कार्यदायी संस्था की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उत्तराखंड में चारधाम प्रोजेक्ट के तहत ऑलवेदर रोड का निर्माण किया जा रहा है ताकि लोगों को आवागमन में सुविधा हो सके। 12 हजार करोड़ रूपए की लागत से शुरू की गई योजना का मकसद 8089 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्गों को चौड़ा कर चार धामों को आपस में जोड़ा था। दिसंबर 2016 में इस परियोजना का शुभारंभ हुआ था। 2017 में इस परयिोजना के टेंडर पर काम शुरू हुआ था। चारधाम परियोजना निर्माझा का जिम्मा उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग, बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन, अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड के साथ ही नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को सौंपा गया है। ऑलवेदर रोड बनने के साथ ही इसके कई हिस्सों के दरकने का जो सिलसिला शुरू हुआ था, वह बदस्तूर जारी है। चट्टानों का सही ढंग से कटान नहीं हो पाया है जिस कारण से बारिश में वहां पर भूस्खलन का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। मानसून सीजन में पहाड़ियां दरकने और भूस्खलन ऑलवेदर रोड पर आम हो गया है। हालत यह है कि मानसून के सीजन में ऑलवेदर रोड के कई हिस्से हिस्से या तो भूस्खलन की चपेट में हैं या फिर दरक रहे हैं। यहां पर यह भी बता देना जरूरी है कि पर्यावरणविद शुरू से ही ऑलवेदर रोड निर्माझा में नियमों की अनदेखी करने का आरोप लगाते रहे हैं। लगातार लग रहे आरापों की जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रवि चोपड़ा कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने भी ऑलवेदर रोड निर्माण में बरती जा रही अनियमितताओं का जिक्र करते हुए आशंका जाहिर की थी निकट भविष्स में ऑलवेदर रोड बड़े भूस्खलनों की वजह से दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। वहीं, दूसरी ओर पूरे प्रदेश में निर्माणाधीन ऑलवेदर रोड में 84 से ज्यादा डेंजर जोन चिन्हित किए गए हैं लेकिन इसके बावजूद इनके ट्रीटमेंट की कवायद नहीं की जा रही है। कुछ ऐसा ही हाल पिथौरागढ़-टनकपुर ऑलवेदर रोड का भी है। 12 सौ करोड़ की लागत से बनी सड़क लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। जिस मकसद से इस सड़क का निर्माण किया था, वह उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई है। बॉडर की यह लाइफ लाइन बरसात के सीजन में ज्यादा समय बंद ही रही है। हालांकि सड़क निर्माण के बाद से समय की बचत के साथ सफर भी आसान तो हुआ है लेकिन कई परेशानियां भी खड़ी हो गई हैं। सड़क को चौड़ा करने की वजह से यहां पर कई डेंजर जोन भी बन गए हैं जो थोड़ी सी बरसात में भरभरा कर गिर पड़ते हैं। लगातार दरक रही पहाड़ियों को बचाने के लिए नेशनल हाईवे ने डीएचडीसी के साथ मिलकर चार दर्जन से ज्यादा डेंजर जोन चिन्हित किए थे लेकिन इनके मरम्मतीकरण का काम आज तक शुरू नहीं हो पाया है। इस बार की मानसूनी बरसात में कई जगह पर भूस्खलन हुआ है जिसने रफ्तार पर ब्रेक तो लगाया ही साथ ही लोगों की जिंदगी को भी दांव पर लगा दिया।
Chief Editor, Aaj Khabar