खटीमा । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 1 सितंबर 1994 को शहीद हुए आंदोलनकारियों के शहादत दिवस पर खटीमा में शहीद स्थल पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने इस मौके पर शहीदों की मूर्तियों का अनावरण किया और उनको श्रद्धाजलि अर्पित की, जबकि शहीदों के परिजनों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। उन्होंने यह भी कहा कि आज का दिन प्रसन्नतम नहीं हो सकता है, क्योंकि यह दिन हम उन महान लोगों को याद कर रहे हैं जिन्होंने उत्तराखंड की नींव रखने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया।
पुष्कर सिंह धामी ने यह भी उजागर किया कि शहीद आंदोलनकारियों ने अपने परिवारों को छोड़कर राज्य निर्माण में सर्वोच्च बलिदान दिया। वे बताए कि उनकी शहादत के परिणामस्वरूप ही हमारा उत्तराखंड राज्य गठन हुआ है, और उनके इस महत्वपूर्ण काम को याद रखना हमारा कर्तव्य है। वे इसका सुझाव देते हैं कि हमें सोचना चाहिए कि इन महान लोगों ने राज्य निर्माण के लिए स्वयं का बलिदान क्यों दिया, और उनके सपनों को साकार करने के लिए उन्होंने अपना वर्तमान और भविष्य दोनों को कुर्बान किया।उन्होंने बताया कि यही शहादत ने उत्तराखंड की जनता के लिए एक नया आरंभ किया है और उन्होंने इसे गर्व से स्वीकार किया है। पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल की सराहना की और उनके नेतृत्व में कोरोना काल में भारत ने वैक्सीन उत्पादन और वितरण के क्षेत्र में बड़े कदम उठाए हैं।धामी ने यह भी जताया कि उनकी सरकार उत्तराखंड के विकास के लिए पूरी तरह से समर्पित है और उनका लक्ष्य है कि 2025 तक उत्तराखंड भारत का अग्रणी राज्य बने। वे नकल माफिया के खिलाफ सख्त कदम उठाने का भी दावा करते हैं और उन्होंने बताया कि अब विभिन्न राज्यों में कराए गए अध्ययन के बाद नकल माफिया पर कठिन कानूनी कार्रवाई की जा रही है।अजय भट्ट, केन्द्रीय पर्यटन एवं रक्षा राज्य मंत्री, ने भी इस अवसर पर शहीदों और आंदोलनकारियों को सलाम दिया और उन्हें राज्य और देश की महत्वपूर्ण धरोहर के रूप में याद रखने की महत्वपूर्ण बात कही। कार्यक्रम में कई महत्वपूर्ण व्यक्तित्व भी मौजूद थे, जिनमें विधायक गोपाल सिंह राणा, महिला आयोग की उपाध्यक्ष सायरा बानो, पूर्व विधायक डॉ. प्रेम सिंह राणा, और अन्य श्रेष्ठ नागरिक शामिल थे।
Chief Editor, Aaj Khabar