देहरादून। मूल निवास 1950 और सशक्त भू कानून की मांग को लेकर विभिन्न संगठनों की महारैली होने जा रही है। इस रैली को ‘मूल निवास स्वाभिमान महारैली’ का नाम दिया गया है। संभावना जताई जा रही है कि इस स्वाभिमान महारैली में हजारों की तादात में लोग जुटेंगे। बता दें कि मूल निवास और सशक्त भू कानून की मांग को लंबे समय से आवाज उठती आ रही है लेकिन इसके बावजूद इसे ठंडे बस्ते में डाला जाता रहा। अब इस अभियान ने जोर पकड़ लिया है। रविवार को विभिन्न संगठनों का जमावड़ा देहरादून के परेड ग्राउण्ड में लगने जा रहा है। मूल निवास-भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के बैनर तले शहर में विशाल जुलूस निकाला जाएगा। सबसे पहले सभी लोग परेड ग्राउण्ड में एकत्र होंगे जहां से बुद्धा चौक, एसबीआई चौक, दून अस्पताल होते हुए तहसील चौक पहुंचेगी। शहीद स्मारक पहुंच कर रैली का समाान होगा। तमाम दिग्गज लोग भी अपने हक हकूक और अस्मिता को बचाने के लिए इस महारैली में शामिल होने की अपील लोगों से की जा रही है। रैली को सफल बनाने के लिए कई दिनों से सोशल मीडिया पर भी प्रचार किया जा रहा है। रविवार को देहरादून में होने वाले विशाल जन आंदोलन ने सियासी हलचल भी बढ़ा दी है।
सघर्ष समिति से जुड़े सदस्यों का कहना है कि यह उत्तराखंड की जनता की अस्मिता और अधिकारों की लड़ाई है। सरकार की ओर से विभिन्न माध्यमों से संघर्ष समिति से जुड़े सदस्यों से संपर्क कर रैली का टालने का अनुरोध भी किया था। कहा, समिति सरकार की इस पहल और सक्रियता का सम्मान करती है, लेकिन यह जन आंदोलन है, जिसका नेतृत्व उत्तराखंड की आम जनता कर रही है। इसलिए इस आंदोलन से संबंधित कोई भी फैसला आम जनता के बीच से ही निकलेगा।
ये हैं प्रमुख मांगे-
-प्रदेश में सशक्त भू कानून लागू हो।
– शहरी क्षेत्र में 250 मीटर भूमि खरीदने सीमा तय हो।
– ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि की बिक्री पर लगाया जाए पूर्ण प्रतिबंध।
– गैर कृषक की ओर से कृषि भूमि खरीदने पर लगाई जाए रोक।
– पर्वतीय क्षेत्र में गैर पर्वतीय मूल के निवासियों के भूमि खरीदने पर रोक।
– राज्य गठन के बाद से वर्तमान तिथि तक सरकार की ओर से विभिन्न व्यक्तियों, संस्थानों, कंपनियों आदि को दान या लीज पर दी गई भूमि का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए।
– प्रदेश में विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र में लगने वाले उद्यमों, परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण या खरीदने की अनिवार्यता है या भविष्य में होगी, उन सभी में स्थानीय निवासी का 25 प्रतिशत और जिले के मूल निवासी का 25 प्रतिशत हिस्सा सुनिश्चित किया जाए।
– ऐसे सभी उद्यमों में 80 प्रतिशत रोजगार स्थानीय व्यक्ति को दिया जाना सुनिश्चित किया जाए।
Chief Editor, Aaj Khabar