हल्द्वानी। कुमाऊनी संस्कृति को आगे बढ़ाने के साथ ही महिलाएं आत्म निर्भर भी बन रहीं हैं। आज इनके बनाए उत्पाद देश ही नहीं दुनिया में भी ख्याति पा रहे हैं। इनकी मेहनत और कुछ कर गुजरने के जज्बे ने इन्हें एक अलग पहचान दिलाई है। हम बात कर रहे हैं गेठिया के भिटोली स्वयं सहायता समूह की। समूह ने कुमाऊंनी लोक संस्कृति का अभिन्न हिस्सा ऐपण कला से जुड़े उत्पाद बनाने से सफर की शुरूआत की थी। कई उत्पाद बनाए गए। दिए, चौकी, मोमबत्ती भी बनाई। ऐपण से बनी राखियां भाइयों की कलाइयों पर सजी। बाद में समूह ने कुछ नया करने पर विचार किया। समूह से जुड़ी महिलाओं ने ऐपण से घड़ी बनाकर खुद को साबित कर दिया। समूह की महिलाओं की दृढ़इच्छा शक्ति रंग आई। आज उनके द्वारा ऐपण से बनाई घड़ी की मांग देश ही नहीं बल्कि विदेशों में तक की जा रही है। भिटोली स्वयं सहायता समूह लंबे समय से कुमाऊनी संस्कृति को आगे बढ़ाने की दिशा में काम रही है। स्वयं सहायता समूह की रक्षित बोरा बताती हैं कि शुरूआत में ऐपण कला को बढ़ावा देने के लिए कई उत्पाद बनाए गए थे। जिसमें दिए, चौकी आदि शामिल होते थे। उत्पादों की डिमांड बढ़ी तो मन में कुछ नया करने का जज्बा पैदा हुआ। स्वयं सहायता समूह ने ऐपण से घड़ी बनाने की ठानी। ऐपण से बनी घड़ी बनाई तो इसकी डिमांड बढ़ गई। ऐपण से बनीं घड़िया दिखने में बेहद खूबसूरत हैं। अब इनहीं डिमांड देश ही नहीं विदेशों से भी आ रही हैं। रक्षिता बताती हैं कि समूह की महिलाएं कुमाउफंनी संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रही हैं। समूह से जुड़ी महिलाएं जहां खुद को आत्म निर्भर बना रहीं हैं, वहीं अन्य महिलाओं को भी प्रशिक्षण देकर आत्म निर्भर बनाने में जुटी हुई है। उन्होंने बताया कि अगर आप भी ऐपण से बनी घड़ियां इच्छुक हैं तो इन्हें हमारे पफेसबुक पर भिटोली पेज पर जाकर यह घड़ियां मंगवा सकते हैं।
Chief Editor, Aaj Khabar