दोषी पुलिस अधिकारी के खिलाफ एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की गईः हाईकोर्ट

दोषी पुलिस अधिकारी के खिलाफ एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की गईः हाईकोर्ट
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नैनीताल। अल्मोडा निवासी मोहित जोशी पर पत्नी ने दहेज उत्पीडऩ के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज की है। हाई कोर्ट ने मोहित के कथित पुलिस उत्पीडऩ से संबंधित सरकारी अधिवक्ता से कहा है कि इस मामले में डीजीपी से निर्देश लें कि पुलिस ने क्या कार्रवाई की है और यदि नहीं की है तो क्यों? अदालत ने पूछा कि दोषी पुलिस अधिकारी के खिलाफ एफ आईआर क्यों नहीं दर्ज की गई। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 4 जनवरी 2024 नियत की है। मामले के मुताबिक मर्चेंट नेवी अधिकारी जोशी ने अपनी शिकायत में कहा कि पुलिस हिरासत में न केवल उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया तथा अपमानित किया गया। मोहित की पत्नी ने उसके विरुद्ध अल्मोड़ा के महिला थाने में आईपीसी की धारा 498ए/ 504/ 506 और दहेज निषेध अधिनियम के तहत एफ आईआर दर्ज कराई थी। महिला थाने की स्टेशन अधिकारी बरखा कन्याल ने 18 अप्रैल को जोशी के खिलाफ महिला पुलिस इकाई के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए एक और मामला दर्ज किया। एसओ ने एफआईआर में कहा कि जब वह 17 अप्रैल को जोशी के घर गईं तो उनके कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा डाली गई और जोशी ने दस्तावेजों को नुकसान पहुंचाया। जोशी ने अदालत को बताया कि उन्होंने अपने आवास पर शयनकक्ष में पूरी घटना का वीडियो बनाया है जहां सिविल ड्रेस में बिना कोई परिचय दिए पुलिस ने उनके और उनके परिवार की सदस्य के साथ दुर्व्यवहार किया। कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता ने पुलिस की ओर से कथित गलत कार्यों का निवारण पाने के लिए हर दरवाजा खटखटाया है। जोशी के वकील ने कहा कि उन्होंने सूचना के अधिकार कानून के तहत सीसीटीवी फुटेज हासिल किए हैं। उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने का अनुरोध किया है। जोशी ने इसकी शिकायत डीजीपी तथा एसएसपी अल्मोडा तथा जिलाधिकारी समेत अन्य सरकारी पोर्टल पर भी दी। उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग से भी गुहार लगाई।

शिकायत पोर्टल पर दी गई एक शिकायत की जांच पुलिस अधिकारी ने की जिसने गलत व्यवहार किया। उन्होंने इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी। मामले की सुनवाई न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ में गुरुवार को हुई।

दोषी पुलिस अधिकारी के खिलाफ एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की गईः हाईकोर्ट

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