नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार जनपद के मुजफ्फरपुर मौजां में कृषि करने हेतु वन विभाग द्वारा ग्रामीणों को लीज पर दी गयी 55 हैक्टेयर वन भमि में अवैध खनन के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खण्डपीठ ने सम्बंधित एसडीएम सहित खनन अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि जिन अधिकारियों की शह पर यह अवैध खनन किया जा रहा था उन्हें चिन्हित करें। नहीं तो पूरी जिमेदारी आपकी व विभाग की होगी। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें लगता है कि पूर्व में कार्यरत कर्मचारी व अन्य अधिकारी इस मामले में शामिल थे जिनके संगरक्षण में यह अवैध खनन हुआ है। आज संबंधित अधिकारी कोर्ट में व्यक्गित रूप से पेश हुए। उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि 59 लीजधारकों में से 39 लीज धारकों ने लीज की भूमि पर अवैध खनन 2010 से किया जा रहा है इनके द्वारा झील से बड़े गड्ढे लीज की भूमि पर कर दिए गए हैं। जिनका चालान उनके द्वारा कर दिया गया गया है। जिसपर कोर्ट ने अपना सख्त रुख अपनाते हुए मौखिक तौर पर कहा कि या तो आप उन अधिकारियों को चिन्हित करें जिनकी सह पर यह अवैध खनन हुआ है नही करने पर पूरे विभाग की जिमेदारी होगी। मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी।
मामले के अनुसार हरिद्वार निवासी सामाजिक कार्यकर्ता धर्मवीर सैनी की ओर से जनहित याचिका दायर कर कहा गया है कि वन विभाग की ओर से मुजफ्फरपुर मौजां गांव के 59 लोगों के परिवारों को 55 हेक्टेअर वन भूमि कृषि कार्य हेतु दी गयी।
याचिकाकर्ता की ओर से जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि इस भूमि पर पट्टेधारकों की ओर से पिछले कुछ सालों से अवैध खनन किया जा रहा है। जबकि उनके द्वारा अदालत में इससे संबंधित फोटोग्राफ भी पेश किये गये।
जनहित याचिका में कहा गया कि जब यह भूमि उनको कृषि कार्य हेतु दी गयी थी तो कैसे इसपर अवैध खनन हो रहा है इस पर रोक लगाई जाय। इसमें सम्मलित लोगो के खिलाफ कार्यवाही भी की जाय।
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Chief Editor, Aaj Khabar