पिथौरागढ़। सीमांत में 15वां राष्ट्रीय कुमाउंनी भाषा सम्मेलन उत्साह से मनाया जाएगा। कुमाउंनी भाषा साहित्य व संस्कृति प्रचार समिति के संयोजक डॉ. अशोक पंत ने पत्रकार वार्ता कर बताया कि सम्मेलन को लेकर पूरी तैयारी कर ली गई हैं। उन्होंने कहा कि अपनी दूधबोली के प्रचार प्रसार और संरक्षण के लिए इस तरह के सम्मेलन मील का पत्थर साबित होंगे।
शुक्रवार को समिति के संयोजक डॉ. पंत ने कहा कि बीते चार दशकों में कुमाउंनी बोलने, लिखने वालों की तादात में कमी आई है। कहा कि अधिकतर नई पीढ़ी तो आम बोलचाल में कुमाउंनी का इस्तेमाल ही नहीं करती, जो चिंताजनक है। कई लोग अपनी बोली से दूर होते जा रहे हैं। ऐसे में दूधबोली को संरक्षित रखना जरूरी हो गया है। कहा कि अपनी भाषा, संस्कृति पहचान को बनाए रखने के लिए भाषा प्रेमी और साहित्यकार लंबे समय से कार्य कर रही है। दूधबोली के प्रचार और संरक्षण के लिए कुमाउंनी भाषा साहित्य व संस्कृति प्रचार समिति अल्मोड़ा व कुमाउंनी मासिक पत्रिका पहरू अब तक ऐसे 14वृहद स्तर के सम्मेलन कर चुकी है। इस बार सीमांत जनपद में यह सम्मेलन होने जा रहा है। कहा कि आगामी 4से6 नवंबर के बीच यह सम्मेलन होगा। इस दौरान कुमाउंनी भाषा, साहित्य और संस्कृति का अतीत, वर्तमान और भविष्य, कुमाउंनी भाषा साहित्य में आधुनिक जीवन मूल्य आदि कई विषयों पर साहित्यकार व भाषा प्रेमी चर्चा करेंगे। कहा कि कुमाउंनी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए भी समिति प्रयासरत है। पंत ने कहा कि बीते दिनों नगर में आए प्रधानमंत्री मोदी को भी इस संबंध में ज्ञापन दिया है। यहां सचिव जनार्दन उप्रेती, सह संयोजक डॉ. दीप चौधरी, गजेंद्र सिंह बोरा, उपसचिव डॉ. किशोर पंत, प्रचार प्रभारी नीरज चंद्र जोशी, प्रकाश पांडे आदि मौजूद रहे।
Chief Editor, Aaj Khabar