हरिद्वार। सनानत धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार आस्था और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। उत्तराखंड में भी इस त्योहार का अलग ही अंदाज देखने को मिलता है। मकर संक्रांति, उत्तरायणी या घुघुतिया त्यार को लेकर उत्तराखंड में भारी उत्साह रहता है। उत्तरायणी पर गंगा स्नान की परंपरा रही है। स्थानीय लोगों के साथ ही अन्य राज्यों के लोग भी गंगा में डुबकी लगाने के लिए हरिद्वार पहुंचते हैं। उत्तरायणी पर हरिद्वार में आस्था का अदभुत संगम दिखाई देता है। इतना ही नहीं गंगा में डुबकी लगाने के लिए देव डोलिया भी पहुंची हैं। देवप्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी के संगम पर श्रद्धालु गंगा स्नान व पूजन के लिए सुबह से ही उमड़ पड़े। कई स्थानों की देव डोलियों ने तड़के दो बजे संगम व गंगा तट पर सूर्याेदय से पहले का गुप्त स्नान भी किया गया। कड़ाके की ठंड के बावजूद हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा भागीरथी में डुबकी लगाकर पुण्य कमाया। दर्जनों देव डोलियों की मौजूदगी में ढोल-नगाड़ों की आवाज और मां गंगा के जयकारों से पूरी काशी नगरी गुंजायमान रही। वहीं उत्तरकाशी के पौराणिक मणिकर्णिका घाट, केदार घाट, लक्षेश्वर, शंकर मठ, नाकुरी, देवीधार, गंगोरी अस्सी गंगा तट सहित आदि स्नान घाटों पर तड़के चार बजे ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई थी। स्नान पर्व पर बाडाहाट क्षेत्र के आराध्य कंडार देवता, बाडागड्डी क्षेत्र के आराध्य हरिमहाराज, खंडद्धारी माता, कैलापीर, नाग देवता, घंडियाल देवता, बाल कंडार, नागणी देवी, रनाड़ी के कचडू देवता, डुंडा की रिंगाली देवी, सहित धनारी क्षेत्र नागराजा, त्रिपुरा माता, चंदणनाग, राजराजेश्वारी आदि दर्जनों देवी-देवताओं की डोलियां, ढोल, निशान आदि के साथ हजारों श्रद्धालु उत्तरकाशी पहुंचे और गंगा में आस्था की डुबकी लगाई।
Chief Editor, Aaj Khabar