अल्मोड़ा। भाकृअनुप- विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा लक्ष्मीकांत ने कहा है कि पहाड़ की खेती में ड्रोन का उपयोग लाभप्रद है। इस के उपयोग से अधिक श्रम से निजात मिलेगी वहीं पहाड़ के युवा भी कृषि की ओर आकर्षित करेगा। निदेशक संस्थान की ओर से किसान ड्रोन परियोजना के अंतर्गत आयोजित ड्रोन प्रदर्शनी प्रशिक्षण के उद्घाटन अवसर पर विचार व्यक्त कर रहे थे। इस प्रशिक्षण में जिले के हवालबाग एवं ताकुला विकासखंड के 95 किसानों ने भाग लिया। निदेशक ने कहा कि संस्थान कृषि के नवीनतम शोध एवं नवीनतम तकनीकी को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी क्रम में यह।प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया है। किसानों को योजना का परिचय देने के साथ इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। संस्थान के निदेशक डा लक्ष्मीकांत ने अपने संबोधन में आगे कहा कि ड्रोन द्वारा दवाओं एवं तरल उर्वरकों का छिड़काव बहुत ही कम समय और मेहनत से किया जा सकता है। यही नहीं फसलों की निगरानी भी की जा सकती है। इसके अतिरिक्त युवा किसान इसे एक रोजगार के साधन के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। निदेशक ने कहा युवा किसान ड्रोन पायलट ट्रेनिंग सेंटर से प्रशिक्षण प्राप्त कर लाइसेंस ले सकते हैं। कहा कि सरकार की तरफ से ड्रोन खरीदने के लिए सब्सिडी भी दी जाती है। इस प्रकार युवा अपने जिले में ड्रोन एवं साथ में अन्य मशीनों के लिए कस्टम हायरिंग केंद्र बनाकर रोजगार का सृजन कर सकते हैं। इस के बाद डा हितेश बिजारणिया ने किसानों को प्रक्षेत्र में गेहूं की फसल में ड्रोन द्वारा छिड़काव का प्रदर्शन किया गया । वहीं ड्रोन परिचालन की तकनीकी बताई गई। संस्थान के पांच वैज्ञानिकों एवम् अधिकारियों को विशेष रूप से उर्वरक एवं अन्य रसायनों के छिड़काव के लिए कृषि ड्रोन को संचालित करने को प्रशिक्षित किया गया है जिनका उपयोग नियमित रूप से विभिन्न स्थानों पर छिड़काव के प्रदर्शन के लिए किया जा रहा है। यह।पहल पर्वतीय किसानों को जागरूक करने के लिए की जा रही है।
Chief Editor, Aaj Khabar