Nainital News: 3 सितंबर तक जांच रिपोर्ठ पेश करें खनन सचिवः हाईकोर्ट

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Nainital News: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के पूर्व जिलाधिकारी द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न स्टोन क्रेशरों का अवैध खनन एवं भंडारण पर लगाये गए करीब 50 करोड़ से अधिक जुर्माने को माफ कर देने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद सचिव खनन उत्तराखण्ड सरकार से 3 सितंबर (मंगलवार) को जाँच रिपोर्ट के साथ पेश होने को कहा है।
मामले के अनुसार समाजिक कार्यकर्ता चोरलगिया नैनीताल निवासी भुवन पोखरिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि वर्ष 2016 -17 में नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी के द्वारा कई स्टोन क्रेशरों का अवैध खनन व भंडारण का जुर्माना करीब 50 करोड़ से अधिक रुपया माफ कर दिया। जिलाधिकारी ने उन्ही स्टोन क्रेशरों का जुर्माना माफ किया जिन पर जुर्माना करोड़ों में था और जिनका जुर्माना कम था उनका माफ नहीं किया। जब इसकी शिकायत मुख्य सचिव समेत सचिव खनन से की गई तो उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई और साथ में यह कहा गया कि यह जिलाधिकारी का विशेषाधिकार है। जब याचिकाकर्ता द्वारा शासन से इसका लिखित रूप में जवाब मांगा तो आज की तिथि तक उन्हें इसका लिखित जवाब नहीं दिया गया।
इसके बाद उनके द्वारा इसमें आरटीआई मांग कर कहा कि जिलाधिकारी को किस नियमावली के तहत अवैध खनन व भंडारण पर लगे जुर्माने को माफ करने का अधिकार प्राप्त है। आरटीआई के माध्यम से अवगत कराएं। जिसके उत्तर में लोक सूचना अधिकारी औद्योगिक विभाग उत्तराखंड द्वारा कहा गया कि लोक प्राधिकार के अंतर्गत यह धारित नहीं है। जनहित याचिका में कहा गया कि जब लोक प्राधिकार में उक्त नियम धारित नहीं है तो जिलाधिकारी के द्वारा कैसे स्टोन क्रेशरों पर लगे करोडों रुपये का जुर्माना माफ कर दिया। फिर उनके द्वारा वर्ष 2020 में चीफ सेकेट्री को शिकायत की और चीफ सेकेट्री ने औघोगिक सचिव से इसकी जाँच कराने को कहा। औद्योगिक सचिव ने जिलाधिकारी नैनीताल को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया। डीएम द्वारा इसकी जांच एसडीएम हल्द्वानी को सौप दी जो नहीं हुई जबकि औद्योगिक विभाग के द्वारा 21 अक्टूबर 2020 को इस पर जाँच आख्या प्रस्तुत करने को कहा था जो चार साल बीत जाने के बाद भी प्रस्तुत नहीं की गई। जनहित याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि इस पर कार्यवाही की जाए क्योंकि इससे प्रदेश के राजस्व की हानि है।

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