Haldwani: ठेकेदार के कार्य भुगतान के लिए मेजरमेंट बिल (एमबी) बनाने के बदले 8,500 रुपये रिश्वत लेने के मामले में दोषी पाए गए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अवर अभियंता (जेई) अमित गिरी को विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण संगठन) एवं एडीजे प्रथम नीलम रात्रा ने पांच साल के कठोर कारावास और दो लाख रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है।
यह मामला वर्ष 2017 का है, जब हल्द्वानी के फतेहपुर क्षेत्र के ग्राम रामड़ी छोटी निवासी पीडब्ल्यूडी ठेकेदार धीरेंद्र सिंह ने पिथौरागढ़ क्षेत्र में विद्युत एवं यांत्रिकी कार्य समय से पहले पूरा किया था। भुगतान के लिए फाइल पेश करने पर जेई अमित गिरी ने एमबी बनाने के बदले रिश्वत मांगी थी।
धीरेंद्र सिंह ने पांच फरवरी 2018 को भ्रष्टाचार निवारण विभाग में इसकी शिकायत की थी। नौ फरवरी को सतर्कता विभाग की टीम ने जेई अमित गिरी को रिश्वत की रकम के साथ गिरफ्तार कर लिया। मामले की विवेचना अरुण कुमार ने की और अभियोजन अधिकारी दीपा रानी ने प्रभावी पैरवी की।
कोर्ट ने भ्रष्टाचार की धाराओं में दोषी पाते हुए अमित गिरी को पांच-पांच साल के कठोर कारावास और एक-एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
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Chief Editor, Aaj Khabar