हल्द्वानी। मां दुर्गा की आराधना का पवित्र पर्व शारदीय नवरात्र आज शनि रविवार से शुरू हो गया है। नौ दिनों तक मां आदिशक्ति के नौ स्वरूपों की पूजा का उत्सव रहेगा। रविवार को घट स्थापना की जाएगी। रविवार को कलश स्थापना के लिए दोपहर 11ः 44 से दोपहर 12ः30 बजे तक 46 मिनट तक मुहूर्त रहेगा। शारदीय नवरात्र के नौ दिनो तक मां आदिशक्ति के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिन माता रानी धरती लोक पर विचरण करती हैं। इस बार नवरात्र में मां हाथी पर सवार होकर आएंगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, नवरात्रि का शुभारंभ जिस दिन होता है, उसके आधार पर उनकी सवारी तय होती है। रविवार या सोमवार से नवरात्र शुरू होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं।
इस तरह से करें कलश स्थापनाः
मंदिर में सफाई के बाद लाल कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़े चावल रखें। मिट्टी के एक पात्र में जौ बो दें। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश में चारों ओर आम या अशोक के पत्ते लगाएं और स्वास्तिक चिह्न बनाकर इसमें साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें। एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा बांधें और इसे कलश के ऊपर पर रखकर मां जगदंबे का आह्वान करें। इसके बाद दीप जलाकर कलश की पूजा करें।
क्यों की जाती है कलश स्थापनाः
कलश स्थापना का अर्थ है नवरात्रि के वक्त ब्रह्मांड में मौजूद शक्ति तत्व का घट यानी कलश में आह्वान करना। शक्ति तत्व के कारण घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है। नवरात्रि के पहले दिन पूजा की शुरुआत दुर्गा पूजा के लिए संकल्प लेकर ईशान कोण (पूर्व-उत्तर) में कलश स्थापना करके की जाती है।
Chief Editor, Aaj Khabar