ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी के बाद भी तापमान में दर्ज नहीं गिरावट।

ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी के बाद भी तापमान में दर्ज नहीं गिरावट।
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देहरादून। मौसम का बदलता मिजाज और जलवायु परिवर्तन का असर तापमान पर भी देखने को मिल रहा है। ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फबारी होने के बाद भी तापमान में गिरावट देखने को नहीं मिली है जिसने वैज्ञानिकों को भी चिंता में डाल दिया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर यही हाल रहा तो आने वाले दस वर्षों में तापमान में बढ़ोत्तरी हो सकती है। मौसम विज्ञानियों ने सोमवार को भी उत्तराखंड के कई जिलों में बर्फबारी की आशंका जताई है। मौसम विभाग के अनुसार उत्तराखंड के उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले में 3500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बिजली चमकने और ओलावृष्टि के साथ भारी बर्फबारी हो सकती है। विभाग ने इन जिलों के कुछ क्षेत्रों में तेज बारिश की संभावना भी जताई है। बता दें कि इस साल फरवरी के शुरुआत में साल की पहली और दूसरी बार बारिश-बर्फबारी हुई थी। इसके बाद रविवार को पर्वतीय जिलों में कहीं-कहीं हल्की बारिश और बर्फबारी हुई। पहली-दूसरी बारिश-बर्फबारी के बाद मैदानी क्षेत्रों में अधिकतम तापमान में कमी दर्ज की गई थी। लेकिन, तीसरी बार हुई बर्फबारी से मैदानी इलाकों के तापमान में कोई खास असर नहीं पड़ा। वहीं मौसम वैज्ञानिक बारिश न होने को तापमान में बढ़ोतरी का मुख्य कारण बता रहे हैं।

ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी के बाद भी तापमान में दर्ज नहीं गिरावट।

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