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Dehradun: देहरादून में आयुष्मान और राशन कार्ड फर्जीवाड़ा उजागर, 12 हजार से ज्यादा कार्ड रद्द

Dehradun: देहरादून में आयुष्मान और राशन कार्ड फर्जीवाड़ा उजागर, 12 हजार से ज्यादा कार्ड रद्द
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Dehradun: राजधानी देहरादून में एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है, जहां जिला प्रशासन की जांच में 9428 फर्जी आयुष्मान भारत कार्ड और 3323 फर्जी राशन कार्ड पाए गए। दोनों योजनाओं में हुए इस गड़बड़झाले को लेकर नगर कोतवाली और राजपुर थाने में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी सविन बंसल और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को तुरंत सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारी के निर्देश पर पहले से अपात्र व्यक्तियों द्वारा बनाए गए कार्डों की जांच चल रही थी, जिसके परिणामस्वरूप यह घोटाला उजागर हुआ।

जांच में पता चला कि जिले में 1,36,676 निष्क्रिय राशन कार्ड हैं, जिनमें से कई का इस्तेमाल फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए किया गया। डीएम ने बताया कि ऐसे सभी संदिग्ध कार्डों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लाभ लेने वालों के खिलाफ विधिक कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने आशंका जताई है कि इस फर्जीवाड़े के पीछे कोई संगठित गिरोह सक्रिय हो सकता है। इस संबंध में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह को सूचित किया गया है ताकि मामले की गहराई से जांच हो सके।

जांच में यह भी सामने आया कि कई राशन कार्ड सिर्फ आयुष्मान कार्ड का लाभ लेने के उद्देश्य से बनाए गए थे। वर्तमान में देहरादून जिले में लगभग 12 लाख आयुष्मान कार्ड जारी हो चुके हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में फर्जीवाड़ा सामने आना प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है।

राशन कार्ड पात्रता की शर्तों को दरकिनार कर अपात्र लोगों को कार्ड जारी किए गए। अंत्योदय योजना के लिए 15 हजार रुपये, राष्ट्रीय खाद्य योजना के लिए 1.80 लाख रुपये और राज्य खाद्य योजना के लिए 5 लाख रुपये की वार्षिक आय सीमा निर्धारित है, परंतु इन मानकों की अनदेखी की गई।

देहरादून में कुल 3,87,954 राशन कार्डों में से अब तक 75,576 का ही सत्यापन हो पाया है। प्रशासन द्वारा 3323 फर्जी कार्डों को रद्द कर दिया गया है, जबकि शेष का सत्यापन अभी जारी है।

फर्जीवाड़े के इस खुलासे ने सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता और लाभार्थियों की वास्तविक पात्रता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब निगाहें प्रशासन और पुलिस की जांच पर टिकी हैं कि यह कब तक पूरे नेटवर्क को बेनकाब कर सकेगी।

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