देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत पर विजीलेंस की टीम ने शिकंजा कसा है। विजीलेंस की हल्द्वानी और देहरादून की टीम ने पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के सहसपुर स्थित कालेज और पेट्रोल पंप पर छापा मारा है। टीम ने कागजात अपने कब्जे में लिए हैं। बताया जा रहा है कि मामला कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण और पेड़ों के कटान से जुड़ा हुआ है। इस मामले की जांच विजीलेंस द्वारा पहले से ही की जा रही थी। बताया जा रहा है कि पाखरू रेंज में अवैध निर्माण और पेड़ों के कटान प्रकरण पर विजिलेंस को कुछ तथ्य मिले थे, जिसके बाद विजिलेंस की टीम ने यह कार्रवाई की है। विजीलेंस की टीम ने पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के पुत्र के सहसपुर स्थित कॉलेज पर छापा मारा है। यहां पर दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। इसके अलावा हरक सिंह रावत के एक पेट्रोल पंप पर भी विजिलेंस की टीम ने छापेमारी की है। टीम दस्तावेजों की पड़ताल कर रही है। बताया जा रहा है कि कुछ जरूरी दस्तावेज टीम ने अपने कब्जे में लिए हैं।
विवादों से रहा है पुराना नाताः
उत्तराखंड के दिग्गज नेता हरक सिंह रावत का विवादों से पुराना नाता रहा है। 2002 में उत्तराखंड की पहली निर्वाचित सरकार में मंत्री बने तो 2003 में जैनी प्रकरण की वजह से उन्हें अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। 2012 के विधानसभा चुनाव में वह विवादास्पद बयान देकर सुर्खियों में रहे थे। उन्होंने कहा कि वह मंत्री पद अपने जूते की नोक पर रखते हैं। 2013 में मेरठ की एक महिला ने हरक पर शारीरिक शोषण का आरोप लगाया था। तब हरक सिंह रावत विजय बहुगुणा सरकार में मंत्री थे। हरक के खिलाफ महिला ने दिल्ली के सफदरगंज थाने में मुकदमा दर्ज करवाया था। 2016 में उत्तराखंड में सियासी संकट पैदा करने के मुख्य सूत्रधार हरक सिंह रावत ही थे। हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकने वाले नौ बागियों के वहीं नेता थे। तब उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लग गया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हरीश रावत सरकार को बहाल कर दिया था। सभी बागी भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद 2022 में पाला बदलकर हरक सिंह रावत भाजपा में शामिल हो गए। अपनी बहु को लैंसडाउन से टिकट दिलवाने के लिए वह सरकार पर दबाव बनाने लगे। हरक की धमकियों से परेशान होकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरक सिंह रावत को ही मंत्री मंडल से बाहर कर दिया। सीएम धामी के एक्शन के बाद भाजपा हाईकमान ने इससे भी बड़ा कदम उठाते हुए हरक सिंह रावत को भाजपा से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया।
कांग्रेस ज्वाइनिंग में हुई थी बड़ी फजीहतः
मंत्री पद गंवाने और भाजपा से निष्कासित होने के बाद हरक सिंह रावत को कांग्रेस में प्रवेश पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा। कांग्रेस हाईकमान ने हरक को ज्वाइंनिंग देने के लिए पांच दिन इंतजार करवाया। हरीश रावत की हरी झंडी के बाद ही उनकी कांग्रेस में एंट्री हो पाई।
Chief Editor, Aaj Khabar