भारत के प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर के लिए उत्तराखंड अपने आप में प्रसिद्ध है। हालांकि, विकास की दिशा में इस प्रांत के गांवों में एक महत्वपूर्ण समस्या उभरी है – प्रवासन की समस्या।
गांवों से शहरों की ओर हो रहे प्रवासन की मुख्य वजह यह है कि युवा पीढ़ी को उच्च शिक्षा और रोजगार के अवसर नहीं मिलते, जो उन्हें उनके गांव में नहीं मिलते। इसके परिणामस्वरूप, गांवों की जनसंख्या में कमी हो रही है और उनके सामाजिक-आर्थिक संरचना में बदलाव आ रहा है।
आधुनिकीकरण की दिशा में प्रगति होने के बावजूद, उत्तराखंड के कई गांवों में आवासीय बुनाई-कढ़ाई जैसी मौलिक सेवाएं उच्च स्तर पर नहीं होने के कारण युवा पीढ़ी के लिए प्रवासन की आवश्यकता बन गई है।
इसके अतिरिक्त, प्रवासन की एक और महत्वपूर्ण प्रभाव है – समाज में असमानता। अधिकांश युवा पीढ़ी गांवों से बाहर जाकर उच्च शिक्षा और रोजगार प्राप्त करने की कोशिश में हैं, जिससे गांवों में शिक्षा और विकास की समस्या हो रही है।
यह समस्याएँ विकासशील प्रदेश के लिए गहरी चिंता का कारण हैं। इस समस्या का समाधान सिर्फ सरकारी प्रयासों से ही नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति की सहयोग और भागीदारी से भी हो सकता है। हमें नए विकास की दिशाओं में सोचते हुए देखना होगा कि कैसे हम अपने गांवों को स्थानीय उत्तराखंड की संरचनाओं से जुड़कर उन्हें सशक्त और समृद्ध बना सकते हैं।