Dehradun News: उत्तराखंड राज्य सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में 10% क्षैतिज आरक्षण देने के लिए प्रारूप जारी कर दिया है। यह निर्णय धामी कैबिनेट द्वारा मार्च में मंजूर प्रस्ताव के आधार पर लिया गया था, जिसे विधानसभा में पास किया गया था और राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद अब इसका प्रारूप सार्वजनिक कर दिया गया है।
राज्य आंदोलनकारियों ने लंबे समय से सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग की थी, और इस मुद्दे पर कई बार प्रदर्शन भी किए गए थे। हालांकि, कोर्ट में लंबित मामलों के कारण इस प्रक्रिया में कई अड़चनें आईं। अब सरकार ने विधानसभा में बिल पास कर इस समस्या को हल किया है और आदेश जारी कर दिया है।
उत्तराखंड में राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण देने की शुरुआत पहली निर्वाचित एनडी तिवारी सरकार के कार्यकाल में हुई थी, जब 7 दिन तक जेल में रहने वाले आंदोलनकारियों को सीधे सरकारी नौकरी देने का निर्णय लिया गया था। 1 से 6 दिन तक जेल में रहने वालों को 10% क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिला था। इसके बाद, 2010 में निशंक सरकार ने सभी चिन्हित राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण देने का फैसला लिया था, और 2011 में खंडूड़ी सरकार ने आंदोलनकारियों के आश्रितों को भी आरक्षण देने का प्रावधान किया था।
हालांकि, 2013 में हाईकोर्ट में दायर एक याचिका के बाद इस आरक्षण पर रोक लग गई थी। 2015 में हरीश रावत सरकार ने इस आरक्षण को लागू करने के लिए एक बिल पेश किया था, लेकिन राज्यपाल की मंजूरी न मिलने के कारण यह मामला लटक गया। 2018 में हाईकोर्ट ने राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण को समाप्त कर दिया था, जिसके बाद आंदोलनकारियों ने फिर से अपनी मांग तेज कर दी।
अब, धामी सरकार ने इस मामले में निर्णायक कदम उठाया और विधानसभा में बिल पास कर राज्य आंदोलनकारियों को 10% आरक्षण देने का रास्ता साफ किया है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद, अब आरक्षण देने का आदेश जारी किया जा चुका है।
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Chief Editor, Aaj Khabar