Dehradun News: गंगा की स्वच्छता को लेकर चल रही तमाम योजनाओं के बावजूद उत्तराखंड में गंगा के उद्गम स्थल पर प्रदूषण का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (छळज्) ने इस मामले में गंभीर नाराजगी जाहिर की है और राज्य सरकार के अधिकारियों को इसके समाधान के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं।
एनजीटी ने खासतौर पर उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को गंगा के उद्गम स्थल गंगोत्री में प्रदूषण की मौजूदा स्थिति की जांच करने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा पेश किए गए हलफनामे में कई तथ्य असंतोषजनक पाए गए, जिस पर एनजीटी ने तहरीर दी और अधिकारियों को मामले की गंभीरता से जांच करने की आवश्यकता जताई।
गंगा और उसकी सहायक नदियों की स्वच्छता के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे नमामि गंगे योजना के तहत कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन गंगोत्री में सीवर जनित फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा मानक से अधिक पाई गई है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि गंगोत्री में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट द्वारा जल को साफ करने की प्रक्रिया में 540 डच्छ (मोस्ट प्रोबेबल नंबर) प्रति 100 मिलीलीटर की मात्रा पाई गई, जो तय मानक से कहीं अधिक है। एक मिलियन लीटर प्रतिदिन क्षमता वाले इस प्लांट से पानी की स्वच्छता की उम्मीद थी, लेकिन स्थिति संतोषजनक नहीं पाई गई है।
एनजीटी की सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि राज्य में 53 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स में से 50 काम कर रहे हैं, लेकिन राज्य के 63 प्रमुख नालों को अब तक टैप नहीं किया गया है। इन नालों से निकला गंदा पानी गंगा और उसकी सहायक नदियों में मिल रहा है, जो जल की गुणवत्ता को और बिगाड़ रहा है। यह स्थिति राज्य में जल प्रदूषण के बढ़ते संकट को दर्शाती है।
उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े उपायों पर कड़ी निगरानी की बात कही गई थी, लेकिन एनजीटी ने पाया कि इन उपायों में कई गंभीर खामियां हैं। राज्य सरकार की ओर से पहले की गई हलफनामे में तथ्य प्रस्तुत किए गए थे, लेकिन एनजीटी के अनुसार, कई बिंदुओं पर सरकार को असंतोष व्यक्त किया गया। इस पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को नए सिरे से स्थिति की जांच करने और तथ्यों का पुनः मूल्यांकन करने के लिए निर्देश दिए गए हैं।
इस पूरे मामले पर अब अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी। एनजीटी ने राज्य सरकार को इस मामले में तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने के लिए भी कहा है। मुख्य सचिव को दिए गए निर्देशों में इस बात का खास ध्यान रखा गया है कि गंगा और उसकी सहायक नदियों की स्वच्छता को लेकर जो भी योजनाएं और प्रयास किए जा रहे हैं, उनकी स्थिति की सत्यता की जांच की जाए और तत्काल प्रभाव से किसी भी प्रकार की लापरवाही को दूर किया जाए।
गंगा की स्वच्छता के लिए लंबे समय से नमामि गंगे योजना के तहत कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन इस ताजे घटनाक्रम ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या इन योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से किया जा रहा है। एनजीटी की सख्ती से सरकार पर दबाव बढ़ गया है कि वह गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के अपने प्रयासों को गंभीरता से आगे बढ़ाए।
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Chief Editor, Aaj Khabar